Kanpur News: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस प्रमुख डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर की ग्रेडिंग हो जाने से रोगी सटीक इलाज मिल जाता है। इससे यह तय होता है कि सिर्फ सर्जरी से काम चल जाएगा या उसके साथ कीमोथैरेपी भी करनी होगी।

कानपुर में ब्रेन ट्यूमर किस प्रकृति का है और किस गहराई तक मस्तिष्क में फैला है? इसकी जांच के लिए अब रोगियों को दिल्ली, मुंबई और लखनऊ नहीं जाना पड़ेगा। ब्रेन ट्यूमर के रोगियों की यह जांच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में ही हो जाएगी। इसके लिए विभाग में जल्दी ही उपकरण आएंगे। रोगियों की कैंसर मार्कर जांचें भी शुरू होंगी। अभी सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर मार्कर जांच हो रही है। चार महीने में ये सुविधाएं मिलने लगेंगी।मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि पैथोलॉजी विभाग में कई अत्याधुनिक उपकरण मंगाए जा रहे हैं। कुछ उपकरण आ भी गए हैं। पेंटा हेड उपकरण से एक साथ कई विशेषज्ञ जांच कर सकते हैं। इसे टीवी स्क्रीन से जोड़ दिया जाता है जिससे कई लोग साथ देख सकते हैं। इसके साथ ही दूर देश में बैठे विशेषज्ञ को रिपोर्ट भेजकर मशविरा भी लिया जा सकता है।
पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि विभिन्न प्रकार के कैंसर मार्कर जांच भी होगी। अभी ये जांचें दूसरे शहरों में कराई जाती हैं। रिपोर्ट आने में 15-20 दिन लग जाते हैं। इससे क्लीनिशयन को डायग्नोसिस में देर लगती है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर अलग-अलग किस्म के होते हैं। इनकी ग्रेडिंग करके स्थिति और फैलाव का भी पता लग जाएगा। ट्यूमर की बॉयोप्सी भी हो जाएगी।
खरीद प्रक्रिया पूरी होने के बाद आएंगे उपकरण
इससे रोगी के इलाज में आसानी होगी। इसी तहत गुर्दे की बीमारी भी पता चलेगी। नेफ्रोटिक सिंड्रोम में गुर्दे में क्या-क्या बदलाव आए हैं। इसका भी पता लग जाएगा। अभी यह जांच मेडिकल कॉलेज में नहीं हो पाती। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव पास हो गया। उपकरण की खरीद के लिए प्रस्ताव पर्चेज विभाग में चले गए हैं। खरीद प्रक्रिया पूरी होने के बाद उपकरण आएंगे और रोगियों की जांच होने लगेगी।
ग्रेडिंग से होता है सटीक इलाज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस प्रमुख डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर की ग्रेडिंग हो जाने से रोगी सटीक इलाज मिल जाता है। इससे यह तय होता है कि सिर्फ सर्जरी से काम चल जाएगा या उसके साथ कीमोथैरेपी भी करनी होगी। उन्होंने बताया कि विभाग में ब्रेन ट्यूमर के औसत 20 रोगियों की सर्जरी हर महीने होती है। यहां 18 जिलों में कहीं और न्यूरो सेंटर नहीं है। इन जिलों के रोगी यहीं आते हैं। विभाग में ऑपरेट होने वाले रोगियों की ढाई से तीन महीने तक की वेटिंग है।