Kanpur Green Park Stadium: देश के पांच हेरिटेज क्रिकेट सेंटर में शामिल होने के कारण टेस्ट मैचों की मेजबानी जरूर मिल जाती है। प्रदेश सरकार के पास हुए एमओयू के अनुसार ग्रीनपार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की है, लेकिन यूपीसीए केवल कोई बड़ा मुकाबला होने पर ही आगे आता है।
बात 1982 की है। ग्रीनपार्क का मैदान दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। मौका इंग्लैंड और भारत के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच का था। तभी इंग्लैंड के बॉब विलिस की एक सनसनाती गेंद को कपिल देव ने बाउंड्री के बाहर भेज दिया। उनका शतक पूरा हुआ और स्टेडियम 44 हजार दर्शकों के शोर से गूंज उठा। मगर, अब वैसा शोर और झूमते दर्शक गुजरे जमाने की बात हो गए।
वजह दर्शक क्षमता का घटते-घटते आधे से भी कम रह जाना है। कुछ आकर्षण बढ़ाने वाले कामों के नाम पर स्टेडियम की बार-बार ऐसी सर्जरी की गई कि दर्शक क्षमता को ही कतर कर फेंक दिया। ग्रीनपार्क की दर्शक क्षमता पर मीडिया सेंटर बनाने के लिए पहली बार 1984 में कैंची चली और फिर कभी वीवीआईपी गैलरी तो कभी डायरेक्टर पवेलियन के लिए इसकी बलि ली जाती रही।
हालत यह है कि 1945 में बने 44 हजार क्षमता वाले इस ऐतिहासिक स्टेडियम की क्षमता अब 15200 ही रह गई है। भारत और बांग्लादेश के बीच सितंबर में होने जा रहे टेस्ट मैच से पहले कराए गए आकलन में यही आंकड़ा सामने आया है। वैसे रविवार को टेस्ट मैच की तैयारी का जायजा लेने आए प्रमुख सचिव खेल को अफसरों ने 22230 की दर्शक क्षमता बताई है।
सबसे बड़ी वजह थी, इसमें बनी स्टूडेंट गैलरी
मगर, एक सच यह भी है कि दर्शक क्षमता को लेकर तमाम विभागों के आंकड़े अलग-अलग हैं। गंगा किनारे बने ग्रीनपार्क स्टेडियम की कई वजहों से दुनियाभर में पहचान थी। सबसे बड़ी वजह थी, इसमें बनी स्टूडेंट गैलरी। स्टूडेंट गैलरी वाला दुनिया का यह अकेला क्रिकेट स्टेडियम था। क्षमता भी भारी भरकम 10,000 की थी।
अब अंतरराष्ट्रीय मैच ही नहीं मिलते हैं
इसी की 8000 दर्शक क्षमता का खात्मा कर डायरेक्टर पवेलियन, वीवीआईपी गैलरी और विजिटर गैलरी बन चुकी है। स्टूडेंट गैलरी अब इतिहास की बात है। इसकी दूसरी बड़ी पहचान यहां का मैनुअल लेकिन दुनिया का सर्वोत्तम माना जाने वाला स्कोरबोर्ड था, जिसने इलेक्ट्रॉनिक युग में दम तोड़ दिया। खैर, मुद्दा दर्शक क्षमता है, जिसके लगातार घटने से अब यहां टी-20 और एक दिनी अंतरराष्ट्रीय मैच ही नहीं मिलते हैं।
ग्रीनपार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी यूपीसीए की है
देश के पांच हेरिटेज क्रिकेट सेंटर में शामिल होने के कारण टेस्ट मैचों की मेजबानी जरूर मिल जाती है। प्रदेश सरकार के पास हुए एमओयू के अनुसार ग्रीनपार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की है, लेकिन यूपीसीए केवल कोई बड़ा मुकाबला होने पर ही आगे आता है। बाकी समय ग्रीनपार्क बेहाल ही रहता है।
इन सुविधाओं के नाम पर घटती रही दर्शक क्षमता
- 1984: मीडिया सेंटर के लिए घटा दी 4000 सीटें
1982 में भारत-इंग्लैंड टेस्ट के दौरान मीडिया सेंटर की मांग उठी तो 1984 में एक गैलरी को तोड़कर मीडिया सेंटर बना दिया गया। इससे दर्शक क्षमता 44 हजार से घटकर 40 हजार रह गई।
- 2013: टूट गई स्टूडेंट गैलरी, घटी 8000 क्षमता
क्रिकेट स्टेडियमों में दुनिया की अकेली स्टूडेंट गैलरी को तोड़कर 2013 में डायरेक्टर पवेलियन, वीवीआईपी पवेलियन व विजिटर गैलरी बना दी गई। दर्शक क्षमता 32 हजार रह गई।
- 2017: न्यू प्लेयर्स पवेलियन के लिए घटीं 6500 सीटें
डायरेक्टर पवेलियन में नया ड्रेसिंग रूम होने के बावजूद यूपीसीए ने अपनी गैलरी सहित कुछ और गैलरियों को तोड़कर न्यू प्लेयर्स पवेलियन बनाई। क्षमता घटकर 25711 रह गई।
- 2021: सीमेंटेड बेंच पर रोक से घटी 2500 क्षमता
सीमेंटेड बेंच जर्जर होने पर 2021 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए टेस्ट मैच में इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई। इस मैच करीब 23 हजार दर्शकों को ही प्रवेश दिया गया।
- 2024: 15200 दर्शकों के बैठने की वर्तमान में जगह
भारत-बांग्लादेश के बीच प्रस्तावित टेस्ट मैच के लिए हुए आकलन में क्षमता 15200 आंकी गई। शेष सीटें जर्जर हो चुकी हैं। पिछले वर्ष यूपी टी-20 लीग के समय आकलन 22230 सीटों का था।
खेल विभाग का गोलमोल जवाब
दर्शक क्षमता पर ग्रीनपार्क स्टेडियम के डिप्टी डायरेक्टर आरएन सिंह से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उप क्रीड़ाधिकारी अमित पाल से जानकारी प्राप्त कीजिए। वह इस संबंध में कुछ नहीं बोलेंगे। वहीं उप क्रीड़ाधिकारी अमित पाल से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह इस सवाल का जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
दर्शक क्षमता बढ़ाने की किसकी जिम्मेदारी है, अब इस सवाल को छोड़ दीजिए। फिलहाल जो संभव हो रहा है, वह कर रहे हैं। सफाई, कुर्सियों को ठीक करवाना, आउटफील्ड व मैदान ठीक करना। दर्शक क्षमता तो ग्रीनपार्क में रेस्टोरेंट बनवाने के कारण भी कम हुई है। स्टेडियम का बिल्डिंग स्ट्रक्चर भी पुराना है। जितना संभव है ठीक करवाया जा रहा है। -अरविंद श्रीवास्तव, यूपीसीए सचिव