UP News: लखनऊ में एटीएस के विशेष न्यायाधीश ने आतंकी संगठनों में शामिल होकर देश के खिलाफ साजिश रचने और आतंकियों की भर्ती कराने के दोषी मोहम्मद इनामुल हक समेत दो को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। इनामुल हक बरेली का रहने वाला है। वह आतंकी जाकिर मूसा को शहीद बताता था।
आतंकी गतिविधियों में शामिल बरेली के कटघर मोहल्ले का रहने वाला मोहम्मद इनामुल हक अलकायदा और मारे गए आतंकी जाकिर मूसा का समर्थक है। वह मूसा की तर्ज पर युवाओं को भड़का रहा था। इसी बीच वह लखनऊ एटीएस के हाथ लग गया। बता दें कि आतंकी संगठनों में शामिल होकर देश के खिलाफ साजिश रचने और आतंकियों की भर्ती कराने के दोषी मोहम्मद इनामुल हक समेत दो दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। इन पर 30-30 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।
बरेली के कटघर से 18 जून 2020 को इनामुल की गिरफ्तारी के वक्त काफी भीड़ लग गई थी। आसपास के लोग उसे पढ़े-लिखे परिवार के शांत रहने वाले युवा के तौर पर देखते थे। इसलिए तमाम लोगों ने उस वक्त एटीएस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। उसके पास से अलकायदा का साहित्य भी बरामद किया गया था। तब लोगों ने परिवार से दूरी बनाई। फिर टीम उसे लखनऊ ले गई और दस दिन की रिमांड पर लेकर उससे आतंकी कनेक्शन के राज उगलवा लिए। इनामुल से पूछताछ के बाद लखनऊ से जम्मू-कश्मीर के शकील अहमद डार की गिरफ्तारी हो सकी।
सबूत न मिलने पर भाई को छोड़ा
शुरू में बरेली में घर पर दबिश देकर इनामुल और उसके भाई मुनीर को एटीएस पकड़कर लखनऊ ले गई थी। वहां पड़ताल में मुनीर का कोई भूमिका नहीं मिली तो उसे तुरंत ही छोड़ दिया गया। इनामुल के पिता नूरल हक पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में कर्मचारी थे। उनकी मौत के बाद इनामुल के भाई फरीद को उनकी जगह नौकरी मिल गई। तब इनामुल का शुरुआती समय पंतनगर में ही बीता।
इनामुल हक अपनी फेसबुक आईडी के कवर पेज पर मारे गए आतंकी जाकिर मूसा की स्टाइल में अंगुली उठाए था। उस वक्त एटीएस के हवाले से जानकारी मिली कि उसने जाकिर मूसा का नाम लेने पर उसे शहीद भाई बताया। कहा, जाकिर से सीधा कोई संपर्क नहीं रहा, पर वह शहीद भाई का बहुत एहतराम करता है। इनामुल की कुछ और आईडी थीं जो एटीएस ने ब्लॉक कर दी, इसलिए आईडी में ज्यादा डिटेल और मेसेज नहीं मिले।
पंतनगर में दंगा भड़काने में गया था जेल
इनामुल हक को पकड़ने से पहले एटीएस को इंटरनेट पर युवाओं को भड़का रहे मोहम्मद शोएब उर्फ अबू मोहम्मद अल हिंदी नाम के शख्स की तलाश थी। गिरफ्तारी के बाद पता लगा कि यह सब इनामुल के ही उपनाम हैं। अलकायदा से जुड़े साहित्य के अलावा उसकी पंतनगर के पते से बनी एक फेसबुक आईडी का पता चला। जांच में पता लगा कि पंतनगर में दंगा भड़काने में उसे कुछ दिन जेल में काटने पड़े थे। इसके बाद वह बरेली चला आया। उसकी प्रोफाइल में अलकायदा का झंडा लगा था।