उत्तर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 लागू है। अब इसमें संशोधन किया जा रहा है।

बूढ़े मां-बाप को दुख देने वाले बच्चे उनके साथ एक ही घर में नहीं रह सकेंगे। उन्हें कहीं और अपना ठिकाना ढूंढना होगा। प्रदेश सरकार इसके लिए वरिष्ठ नागरिक कल्याण नियमावली में संशोधन करने जा रही है। घर समेत अचल संपत्ति से यह बेदखली मां-बाप के जीवनकाल में लागू रहेगी।
उत्तर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 लागू है। इसके तहत प्रत्येक तहसील में उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में भरण-पोषण अधिकरण का गठन कर दिया गया है। किसी भी वरिष्ठ नागरिक को अपने बच्चों या नातेदारों से कोई शिकायत होने पर वह अधिकरण में शिकायत कर सकता है। अधिकरण के फैसले के खिलाफ डीएम के यहां अपील करने का प्रावधान भी है।
वर्ष 2020 में राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली के नियम-22 में संशोधन की सिफारिश की थी। प्रस्तावित संशोधन में वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान न रखने पर बच्चों या नातेदारों को संपत्ति से बेदखल करने का प्रावधान करने की बात कही गई थी। बशर्ते उस संपत्ति पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनन अधिकार हो।
सूत्रों के मुताबिक, अब उच्चस्तर पर काफी मंथन के बाद तय हुआ है कि यह बेदखली स्थायी न होकर एक निश्चित समय के लिए रहेगी। यानी, मां-बाप के जीवनकाल में लागू रहेगी। उसके बाद बच्चों या नातेदारों को उस संपत्ति पर नियमानुसार अधिकार मिलेगा। नियमावली में संशोधन का यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। अंतिम मुहर वहीं से लगेगी।