
चर्म निर्यात विभाग परिषद की ओर से उन्नाव स्थित केएलसी परिसर में आयोजित गोष्ठी में मौजूद पदाधिका
कानपुर। चर्म निर्यात परिषद की ओर से मंगलवार को उन्नाव स्थित केएलसी कॉम्प्लेक्स में संगोष्ठी हुई। इसमें ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन में कारोबार बढ़ाने पर चर्चा की गई
परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद कमाल इराकी ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का असर चमड़ा उद्योग पर पड़ रहा है। उस असर को ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में अपने व्यापार को बढ़ाकर कम कर सकते हैं।
व्यापार को आसान बनाने के लिए चमड़ा निर्यातकों के साथ सीमा पार सलाहकार समाधान संगोष्ठी किया जाना बेहद सकारात्मक कदम है। इससे यूरोप, ब्रिटेन जैसे देशों से निवेश को भारत लाया जा सकेगा। साथ ही साथ अपने आयात को बढ़ाया जा सकेगा। विशेषज्ञ सुधीर तपारिया ने कहा कि निर्यातक वित्तीय, नियामक और रणनीति सहायता के माध्यम से ब्रिटेन और यूरोप के बाजार में निर्यात करके अपने उद्योग का विस्तार कर सकते हैं। उन्होंने सीमा शुल्क प्रक्रिया, वैट, आयात-निर्यात दस्तावेजीकरण के नियमों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के साथ भारत सरकार का मुक्त व्यापार समझौता हो गया है। इस दौरान निर्यातकों ने ब्रिटेन और यूरोप के निर्यातकों से निर्यात से लेकर शिपमेंट का भुगतान रोक लेने की प्रक्रियाओं की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि जब भी निर्यात करें तो सभी दस्तावेज, कंपनी प्रोफाइल, विधिक दस्तावेज, भुगतान माध्यम और शर्तों आदि की जांच के बाद ही उत्पादों का निर्यात करें। इससे धोखाधड़ी होने की उम्मीद कम हो जाती है। इस मौके पर करन अरोरा, शिशिर अवस्थी आदि रहे।