Kanpur News: सोमवार को वकील हड़ताल पर रहेंगे, धरना देंगे और दोपहर बाद आम सभा कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
पिछले कुछ महीनों में वकीलों के खिलाफ अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए मुकदमों और वकीलों के प्रति पुलिस की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के विरोध में वकीलों ने अब आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है। सोमवार से पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है। सोमवार को वकील हड़ताल पर रहेंगे, धरना देंगे और दोपहर बाद आम सभा कर आगे की रणनीति तय करेंगे।लॉयर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष की शनिवार को गिरफ्तारी और लगभग 6 घंटे तक पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर वकीलों के द्वारा धरना प्रदर्शन करने के बाद अब वकील पुलिस की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के विरोध में आंदोलन के मूड में हैं। आपातकालीन हालातों में रविवार को बार और लायर्स एसोसिएशन की संयुक्त बैठक बुलाई गई। इसमें सोमवार को भी न्यायिक कार्य बहिष्कार करने का फैसला लिया गया। न्यायालय भवन के बाहर अधिवक्ता सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक धरना देंगे। इसके बाद 3:30 बजे बार एसोसिएशन हाल में वकीलों की आम सभा बुलाई गई है। इस आम सभा में आंदोलन के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी।
बार एसोसिएशन के महामंत्री आदित्य सिंह और लॉयर्स एसोसिएशन के महामंत्री अभिषेक तिवारी ने संयुक्त रूप से बताया कि वकीलों पर दबाव बनाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। जमानतीय धाराओं में भी जेल भेजा जा रहा है। पुलिस अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज हैं लेकिन उनकी सूची प्रकाशित नहीं की जा रही सिर्फ वकीलों की ही सूची प्रकाशित की जा रही है। काकादेव थाने में लॉयर्स एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त मंत्री हिमांशु दीक्षित, सेन पश्चिम पारा थाने में बार एसोसिएशन के संयुक्त मंत्री शेखर सिंह तोमर व लायर्स एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य बृजेंद्र सिंह यादव, कोहना थाने में राम विकास व अनूप जायसवाल, चमनगंज थाने में शहीद हसन व रिजवान हसन के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए।
रायपुरवा थाने में बार एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य विनय कुमार मिश्रा के खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई कर दी गई। जमानतीय धाराओं के मुकदमों में भी निजी मुचलके पर रिहाई न करके लोगों को जेल भेजा जा रहा है। दीवानी के मामलों में न्यायालय के आदेशों के विपरीत आदेश किए जा रहे हैं। इसके पहले भी ज्ञापन देकर पुलिस कमिश्नर से व्यवस्था में सुधार की मांग की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई न हो होने के कारण वकील आंदोलन के लिए मजबूर हैं।