
उन्नाव। विकासखंड सफीपुर की ग्राम पंचायत पीखी के प्रधान ने मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का साढ़े सात लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद डीएम ने प्रधान के अधिकार सीज कर दिए हैं। साथ ही एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा जांच के दायरे में आए दो सचिवों के निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पीखी गांव के मेराज के दिए गए शिकायतीपत्र के आधार पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व आरईडी फतेहपुर चौरासी के अवर अभियंता ने गांव में जाकर जांच की। जांच में पता चला कि पंचायत भवन निर्माण में मिट्टी भरान व मजदूरी का भुगतान 919082 रुपये बना था। अभिलेखीय जांच में ग्राम स्वराज्य पोर्टल से मिले आंकड़ों की जांच में जानकारी हुई कि इस धनराशि में मजदूरी का 760024 रुपये प्रधान हसीबुद्दीन ने अपने खाते में ले लिए।
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम गौरांग राठी ने प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब मांगा। प्रधान ने बचाव में जो जवाब दिया, उसे डीएम ने भ्रामक व मनगढ़ंत पाया। इसी आधार पर डीएम ने प्रधान हसीबुद्दीन के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए। डीएम ने प्रधान पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश बीडीओ सफीपुर को दिए।
जांच में प्रधान के साथ दोषी पाए गए तत्कालीन सचिव गंगाबक्स भारती व एक अन्य ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जिला विकास अधिकारी को दिए हैं।अंतिम जांच रिपोर्ट मिलने के बाद होगी रिकवरीसीडीओ प्रेम प्रकाश मीणा ने बताया कि पंचायतीराज अधिनियम के तहत वित्तीय, प्रशासनिक अधिकार सीज किए जाने के बाद भी अंतिम जांच करानी जरूरी होती है। इसलिए डीएम ने अंतिम जांच उपकृषि निदेशक को सौंपी है। 15 दिन में जांच रिपोर्ट मिलने के बाद रिकवरी की कार्रवाई शुरू की जाएगी। सरकारी धन की रिकवरी प्रधान के साथ पंचायत के सचिवों से भी की जाएगी।लेखपाल ने खाद गड्ढे के खाते में दर्ज भूमि पर बनवा दिया पंचायत भवनमामले में एक बड़ा खुलासा यह हुआ है कि जो पंचायत भवन बना है। वह खाद गड्ढे के नाम दर्ज जमीन पर है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है। पता चला है कि लेखपाल ने भूमि का चिह्नांकन कराया था। इसके लिए भूमि प्रबंधन समिति की बैठक भी नहीं कराई गई थी। लेखपाल के भूमि चिह्नित कर देने के बाद पंचायत भवन का निर्माण करा दिया गया था। डीएम ने लेखपाल को निलंबित करने के आदेश एसडीएम सफीपुर को दिए हैं।