
फोटो-14-ओपीडी में बच्चों को देखते बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रज कुमार। संवाद
उन्नाव। जिले के 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। इससे सीएचसी रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं। जिले में 5.4 लाख बच्चों के इलाज के लिए केवल 12 बाल रोग विशेषज्ञ ही तैनात हैं। हाल यह है कि तीन साल से किसी भी बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ाें के मुताबिक जिले की 31 लाख आबादी में पांच साल तक के 5.4 लाख हैं। इसके अलावा हर महीने करीब चार हजार बच्चे पैदा होते हैं। जन्म के बाद लगभग 150 बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ की जरूरत पड़ती है। जिले की 16 सीएचसी में हर दिन पांच वर्ष तक के 400 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से रोजाना 50 बच्चे जिला अस्पताल रेफर कर दिए जाते हैं। जिला अस्पताल में दो बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं। ये सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक बच्चाें का इलाज करते हैं।
रात में नहीं रुकते डॉक्टर, फोन पर देते हैं इलाज की सलाह
जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ कानपुर से आते हैं। दोपहर दो बजे तक ओपीडी करने के बाद सरकारी आवासों पर न रुककर अपने घर लौट जाते हैं। रात में इमरजेंसी केस आने पर जिला अस्पताल की इमरजेंसी से फोन किया जाता है। डॉक्टर फोन पर ही बच्चे का इलाज शुरू करा देते हैं। अधिक गंभीर होने पर मरीज को रेफर करने की सलाह दे दी जाती है। उन्हीं केसों में डॉक्टर पहुंचते हैं, जिसमें मरीज का घंटे दो घंटे इलाज किया जा सकता हो।
ऐसे होता इलाज
जिला अस्पताल के साथ 16 सीएचसी और न्यू पीएचसी संचालित हैं। इसमें जिला अस्पताल में दो, एसएनसीयू में तीन के साथ अचलगंज, बिछिया और नवाबगंज, सफीपुर, बांगरमऊ, में बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। इसके अलावा किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। पुरवा सीएचसी का भी यही हाल है। यहां से रोजाना 10 बच्चे जिला अस्पताल रेफर होते हैं। यही हाल हसनगंज, मौरावां, सुमेरपुर सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों का है।
जिले में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। इसकी जानकारी शासन को भेजी है। तैनाती के लिए तीन बार पत्राचार किया गया। प्रयास लगातार किया जा रह है कि जल्द ही तैनाती हो जाए। -डॉ. एचएन प्रसाद, एसीएमओ