
फोटो-8- जिला अस्पताल की गैलरी में लगा फायर फाइटिंग सिस्टम। संवाद
उन्नाव। जिले के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। 71 सरकारी अस्पतालों में से केवल चार के पास ही अग्निशमन विभाग की एनओसी है। जिन अस्पतालों के पास एनओसी है, उनमें महिला और पुरुष अस्पताल में लगा फायर फाइटिंग सिस्टम ट्राॅयल में दो बार फेल हो चुका है। पिछले महीने तीसरे ट्राॅयल में पास हुआ है। इसके अलावा शहर के छोटे-बड़े 150 नर्सिंगहोम में 125 ने ही अग्निशमन विभाग से एनओसी ली है।
राजस्थान के जयपुर अस्पताल के ट्राॅमा सेंटर में आग लगने और आठ मरीजों की मौत हो गई थी। इस घटना यहां के अस्पतालों ने सबक नहीं लिया है। इस कारण कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है। हालत यह है कि जिले की 16 सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र), 51 पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र), जिला पुरुष और महिला अस्पताल के अलावा बीघापुर और मौरावां में 100 बेड अस्पताल हैं। 71 सरकारी अस्पतालों में से केवल चार को ही अग्निशमन विभाग ने आग से सुरक्षा के मानकों पर खरा पाते हुए एनओसी जारी किया है।
जिला महिला अस्पताल में 1.89 करोड़ और पुरुष अस्पताल 2.5 करोड़ की लागत से फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने का काम सितंबर 2023 में शुरू हुआ था लेकिन अगस्त 2024 तक पूरा करने की समय सीमा के बाद मार्च 2025 में काम पूरा हुआ। मई और जून में अग्निशमन विभाग ने एनओसी के लिए करोड़ों के इस अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को जांचा तो दोनों बार ही यह मानकों पर फेल हो गया। ऑटो मोड पर स्मोक सायरन नहीं था। कई सेंसर भी काम नहीं कर रहे थे। अस्पताल की पहली मंजिल में पानी खोलने के लिए नोजल भूतल पर अस्पताल के पीछे लगा दिया था।
तमाम कवायदों के बाद सितंबर में इन दोनों जिला स्तरीय अस्पतालों को फायर एनओसी मिल पाई। हालांकि जानकारों का कहना है कि कई स्मॉग सेंसर अभी भी खराब हैं। वहीं तीन साल पहले बनकर तैयार हुए मौरावां और बीघापुर के 100 बेड अस्पतालों में आग से सुरक्षा के मानक पूरे हैं।
13 सीएचसी के लिए मांगा एनओसी, जांच में फेल
स्वास्थ्य विभाग ने जिले की 13 सीएचसी में अग्नि सुरक्षा के उपकरण लगाने और मानक पूरे करने का दावा करते हुए अग्निशमन विभाग से एनओसी मांगा था लेकिन जब विभाग की टीम ने जांच की तो इनमें मानक पूरे नहीं मिले। इसके बाद अग्निशमन विभाग ने मानक पूरे करने का हवाला देते हुए फाइल लौटा दी।
150 नर्सिंगहोम, 25 बिना फायर एनओसी के
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 150 नर्सिंगहोम संचालित हैं। इसमें से 125 नर्सिंगहोम को ही अग्निशमन विभाग की ओर से फायर एनओसी जारी हुई है जबकि 26 के संचालकों ने आवेदन तो किया लेकिन जांच में आवश्यकता के अनुसार पानी टैंक, निकास द्वार, वेंटिलेशन आदि न होने से एनओसी नहीं दिया। उन्हें मानक पूरे करने के लिए कहा गया है। हालांकि जिले में सैकड़ों नर्सिंगहोम, स्वास्थ्य विभाग में बिना पंजीकरण और बिना फायर एनओसी के ही चल रहे हैं।
एसएनसीयू में भर्ती हैं 16 नवजात
जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में 16 नवजात भर्ती हैं। इसके अलावा दो बेड के आईसीयू वार्ड में कोई मरीज नहीं है। दोनों जगह फायर फाइटिंग सिस्टम का काम पूरा हो गया है। किसी प्रकार की आग की घटना में ऑटो मोड पर आधुनिक सिस्टम के जरिए आग पर काबू पा लिया जाएगा।
अग्नि सुरक्षा के मानक
– धुआं निकासी के लिए दरवाजा होनी चाहिए। हर मंजिल पर कम से कम एक स्मोक अलार्म होना चाहिए
– इमारत के किसी भी कमरे में ईंधन जलाने वाले उपकरण होने पर कार्बन मोनोऑक्साइड डिटेक्टर भी लगाया जाना चाहिए
– एक मीटर चौड़ा रास्ता होना चाहिए
– आग लगने पर भागने वाले रास्ते का दरवाजा बिना चाबी से खोला जाने वाला होना चाहिए
– धूम्रपान करने पर प्रतिबंध होना चाहिए
सीएमओ कार्यालय में नर्सिंग होम के जो भी पंजीकरण होते हैं, फायर एनओसी के लिए उनकी सूची अग्निशमन विभाग भेजी जाती है। मानकाें की जांच कर अग्निशमन विभाग ही एनओसी जारी करता है। -डॉ.सत्यप्रकाश, सीएमओ।
जो भी सूची सीएमओ कार्यालय से आई थी, उनकी जांच कर एनओसी जारी किया है। अन्य जो भी पेंडिंग में है, उनमें कुछ कमी पाई गई थी। मानक जब तक पूरे नहीं होंगे, तब तक एनओसी नहीं दिया जाएगा। -अनूप सिंह, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

फोटो-8- जिला अस्पताल की गैलरी में लगा फायर फाइटिंग सिस्टम।