
फोटो-7- जिला अस्पताल स्थित बर्न यूनिट का भवन। संवाद
उन्नाव। पांच साल पहले बर्न यूनिट की बिल्डिंग तो बना दी गई लेकिन डॉक्टर और स्टाफ अभी तक नहीं दिया गया। स्टाफ और डॉक्टर की तैनाती के लिए पांच बार मांग पत्र भेजा गया लेकिन अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है। इससे आग से झुलसे गंभीर मरीजों को मजबूरन लखनऊ या कानपुर रेफर कर दिया जाता है। इस कारण कई बार वहां पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते हैं। जनवरी से अब तक तीन लोगों की मौत आग से झुलसने ये हुई है।
जिला अस्पताल में 2020 में एक करोड़ रुपये की लागत से बर्न यूनिट का निर्माण कराया गया था। उम्मीद थी कि आग से झुलसे गंभीर मरीजों को यहीं समुचित इलाज मिलेगा लेकिन अभी तक यूनिट का संचालन शुरू नहीं हो सका। इधर दिवाली नजदीक आ गई है। दिवाली पर बारूद से झुलसने के मामले बढ़ जाते है।
झुलसे मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल के वार्ड एक में आठ बेड का वार्ड बनाया गया है। इसी में दो एसी लगा दी गई। यहां मरीजों को भर्ती किया जाता है। 40 फीसदी से ज्यादा झुलसे मरीजों को लखनऊ रेफर कर दिया जाता है। एक साल में वार्ड में 40 मरीजों को भर्ती किया गया जबकि 19 मरीजों को लखनऊ और कानपुर भेज दिया गया। डॉक्टर के अनुसार 40 फीसदी से अधिक झुलसे मरीजों को रेफर करना मजबूरी है। यहां व्यवस्था न होने से उनकी जान काे खतरा रहता है। मौजूदा समय वार्ड में दो एसी लगे हैं। मरीजाें का कहना है कि इसमें एक एसी ही ठीक से काम कर है।
ये पद हैं सृजित
प्लास्टिक सर्जरी के लिए एक सर्जन, दो जनरल सर्जन, तीन ईएमओ, छह स्टाफ नर्स, एक फिजियोथेरेपिस्ट, तीन ड्रेसर और छह एमटीडब्ल्यू के पद सृजित है। पांच साल बाद भी इनमें से किसी की तैनाती नहीं हो सकी।
बर्न यूनिट का संचालन शुरू होने पर गंभीर मरीजों का उपचार हो सकता है। स्टाफ के लिए लगातार शासन को पत्र लिखा जा रहा है। स्टॉफ की तैनाती होते ही संचालन शुरू करा दिया जाएगा। भवन जर्जर न हो इसलिए सर्जन, नाक, कान और आंख के रोगियों के डॉक्टरों की ओपीडी बर्न यूनिट में संचालित की जा रही है। जनरल वार्ड का एसी जल्द ठीक करा दिया जाएगा। -डॉ. राजीव गुप्ता, सीएमएस जिला अस्पताल।

फोटो-7- जिला अस्पताल स्थित बर्न यूनिट का भवन। संवाद