UP: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर ये गलती, जिसने बनाया इसे खूनी मार्ग; 57 महीन में 369 लोगों की हुई मौत

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसे होने आम बात हो गया है। शायद ही कोई दिन जाता है, जब यहां होने वाले हादसों में लोग जान नहीं गंवाते हैं। इसके पीछे की वजह हैरान कर देने वाली है। आइये बताते हैं…

Drowsy Driving Disaster: 7,024 Accidents on Agra-Lucknow Expressway in 57 Months and 369 death

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे हादसा –

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर जनवरी 2021 से सितंबर 2025 तक 57 महीनों में 7024 सड़क हादसे हुए। इनमें 3843 हादसे केवल वाहन चालक की नींद या झपकी से हुए। यह आंकड़ा कुल हादसों का 54.71 प्रतिशत है। यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी की 24 अक्तूबर को हुई बैठक में हुआ।

बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की ओर से प्रस्तुत सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर विस्तार चर्चा की गई। कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय मनोहर सपरे ने अध्यक्षता की। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 में एक्सप्रेस-वे से जहां 5,45,764 वाहन गुजरे, वहीं जनवरी 2025 में यह संख्या बढ़कर 11,16,390 हो गई। यानी प्रतिदिन औसतन 36,000 से अधिक वाहन निकले।

यह वृद्धि बताती है कि पांच वर्षों में यातायात लगभग दोगुना हो गया है। जनवरी 2025 में एक्सप्रेस-वे से गुजरने वाले वाहनों में से 64.29 प्रतिशत कारें थीं। इससे 2021 से सितंबर 2025 के बीच हुई कुल 7024 दुर्घटनाओं में 3881 हादसे केवल कारों से संबंधित रहे, जिनमें 4264 लोग घायल और 369 की मौत हुई।

दोपहिया वाहनों पर चिंता
जनवरी 2020 में 31,361 और जनवरी 2025 में 40,667 दोपहिया वाहन एक्सप्रेस-वे से गुजरे। इसमें लगभग 30 प्रतिशत वाहनों की वृद्धि हुई। बैठक में यह माना गया कि ट्रैफिक नियमों की सबसे अधिक अवहेलना दोपहिया चालकों ने की है। अक्सर तीन सवारी, बिना हेलमेट वाहन चलाते हैं। वर्ष 2021 से सितंबर 2025 के दौरान दोपहिया के 769 हादसों में 1053 घायल और 133 मौतें हुईं।

अधिवक्ता केसी जैन ने सवाल उठाया कि जब एक्सप्रेस-वे पर कारों की गति सीमा 120 किमी प्रति घंटा है तो क्या दोपहिया वाहनों को चलने की अनुमति होनी चाहिए? केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के निर्देशानुसार, एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस-वे पर दो और तीन पहिया वाहनों, साइकिलों और पशु-चलित वाहनों का प्रवेश निषिद्ध है।

बैठक में बताया गया कि आगरा से लखनऊ की ओर केवल दो स्थानों पर 105 और 227 किमी और लखनऊ से आगरा की ओर भी दो स्थानों पर 217 और 101 किमी पर ही जनसुविधाएं हैं। यात्रियों के लिए यह अपर्याप्त हैं। इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के 11 फरवरी 2021 के मानकों के अनुसार, ऐसी सुविधाएं हर 40-60 किमी और 30 जुलाई 2025 के संशोधित प्रारूप के अनुसार हर 30-40 किमी पर होनी चाहिए।

यूपीडा ने बताया कि नई सुविधाएं 160 और 165 किमी माइलस्टोन पर प्रस्तावित हैं, जिन्हें जल्द लागू किया जाएगा। हर दिशा में कम से कम पांच जनसुविधा स्थल आवश्यक हैं।

सर्दियों में गति सीमा घटाने की सिफारिश
अधिवक्ता जैन ने कहा कि एक्सप्रेस-वे एक राष्ट्रीय महत्व का कॉरिडोर है। इसे पूर्णतः सुरक्षित मार्ग बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सर्दियों में जब कोहरा घना होता है, कारों की गति सीमा 120 से घटाकर 75 किमी प्रतिघंटा कर देनी चाहिए जैसा कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर पहले से लागू है।

जनवरी 2021 से सितंबर 2025 तक हुए हादसे
– नींद व झपकी के कारण 3843 – 54.71 प्रतिशत

– ओवरस्पीडिंग के कारण 690 – 9.82 प्रतिशत
टायर फटने के कारण 626 – 8.91 प्रतिशत

– जानवरों के कारण 249 – 3.54 प्रतिशत
– अन्य कारणों से 1616 – 23 प्रतिशत

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