उन्नाव में हत्या करने के चार दोषियों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। न्यायालय ने सभी दोषियों पर 21-21 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं एक आरोपी के खिलाफ नान बेलेबल वारंट जारी किया गया है।
आरोपियों ने चाकू से किया था वार
मौरावां थाना क्षेत्र के दरेहटा गांव निवासी सुनील ने पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि आठ जुलाई 2000 को सुबह करीब 6:30 बजे प्रातः वह पिता बिंदा कुरील के साथ घर से निकला। रास्ते में वह गांव में रहने वाले वेदप्रकाश की चक्की चला गया। पिता बिंदा अपने ही खेतो में शौच के जाने की बात कहकर वहां से चले गये। जब वह वापस लौटा तो देखा कि जीत बहादुर, रामनरेश, श्रीराम, राजबहादुर व रामबाबू उसके पिता पर चाकू से हमला कर रहे थे। शोर मचाने पर आरोपी रोडवेज बस में बैठकर मौके से भाग निकले। हमले में गंभीर रूप से घायल पिता की मौत हो गई थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया और शव का पोस्टमार्टम कराया।
लंबे समय से विचाराधीन था मुकदमा
आरोपियों ने 12 जुलाई 2000 को न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। मुकदमे की विवेचना तत्कालीन एसएचओ मौरावां जीएन खन्ना ने की और श्रीराम, राजबहादुर व रामबाबू के खिलाफ 4 अक्टूबर 2001 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। तत्कालीन सरकार ने हत्याकांड की जांच सीबीसीआईडी से कराई। सीबीसीआईडी ने जांच में पुलिस की थ्योरी पर सवाल खड़े किए और जीत बहादुर व रामनरेश का नाम आरोप पत्र में बढ़ाते हुए न्यायालय में चार्जशीट पेश की। लंबे समय से मुकदमा एससी एसटी की विशेष न्यायालय में विचाराधीन था।
अन्य आरोपी के खिलाफ एनबीडब्लू वारंट जारी
मुकदमे की अंतिम सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक मनोज पांडेय की ओर से पेश की गई दलील व साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश मो. असलम ने श्रीराम, राजबहादुर, जीत बहादुर व राम नरेश को हत्या का दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं मामले के एक अन्य आरोपी रामबाबू के न्यायालय में पेश न होने पर उसके खिलाफ एनबीडब्लू वारंट जारी किया गया है।