UP: पीआरपी के इस्तेमाल में जीएसवीएम प्रदेश में अव्वल, जिन रोगों के आगे दवाएं बेकार, उनका खून से हो रहा उपचार

Kanpur News: प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि स्टेम सेल बैंक बनने के बाद और आसानी होगी। अभी रोगी की बोन मैरो से स्टेम सेल ली जाती है। इसके बाद नवजात की नाड़ की स्टेम सेल का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

GSVM is leading in the use of PRP, diseases for which medicines are useless are being treated with blood

जिन रोगों में दवाएं कारगर नहीं, उनमें रोगी का खून ही इलाज बन जा रहा है। खून के प्लाज्मा में पाए जाने वाले तत्व रोग को दूर कर रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्लाज्मा रिच प्लेटलेट्स (पीआरपी) के इस्तेमाल में अव्वल है। अभी नेत्र रोगों और अस्थि रोगों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। कॉलेज की मल्टी डिस्प्लनरी यूनिट में पीआरपी के इस्तेमाल के संबंध में और शोध किए जाएंगे।विशेषज्ञों का कहना है कि रोगी के खुद के शरीर के खून के तत्वों से किसी प्रकार के दुष्प्रभावों और प्रतिक्रिया का खतरा नहीं रहता है। रोगी के खून के प्लाज्मा से इलाज सबसे अधिक नेत्र रोग विभाग में हो रहा है। ड्राई आई, सीमेन जॉनसन सिंड्रोम, सेंसिगस और केमिकल इंजरी के इलाज में इसका आमतौर पर इलाज किया जा रहा है। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन का कहना है कि इन चार रोगों के अलावा दुर्लभ बीमारियों के इक्का-दुक्का रोगी आ रहे हैं।

उनमें भी पीआरपी का इस्तेमाल करते हैं। इन रोगों में दवाएं अधिक कारगर नहीं होतीं। रोगी को पीआरपी के इस्तेमाल से अधिक फायदा होता है। प्लाज्मा में पाए जाने वाले ग्रोथ फैक्टर इसमें अच्छा काम करते हैं। यह थेरेपी सुरक्षित भी है। इसी तरह अस्थि रोग विभाग के विशेषज्ञ गठिया, घुटने के अंदर घिसने और पैर की एड़ी के टेंडन टूटने में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इन रोगों में भी दवाएं बहुत कारगर काम नहीं करतीं।

पीआरपी और स्टेम सेल का लाभ लिया जा सकेगा
खून के ग्रोथ फैक्टर अंग की बीमार कोशिकाओं को स्वस्थ कर देते हैं और रोगी की समस्या दूर हो जाती है। अस्थि रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. रोहित नाथ का कहना है कि इन रोगों में भी खून के ग्रोथ फैक्टर से लाभ मिलता है। इसके साथ ही घुटने में प्लाज्मा की चिकनाई राहत देती है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि एमआरयू में नए उपकरण आ रहे हैं। इससे कोशिका स्तर पर शोध करने में आसानी होगी। इससे और भी रोगों में पीआरपी और स्टेम सेल का लाभ लिया जा सकेगा।

स्टेम सेल का दायरा भी बढ़ाया जा रहा
पीआरपी के अलावा रोगी के शरीर से स्टेम सेल निकालकर रोगों के इलाज का दायरा बढ़ाया जा रहा है। अभी तक न्यूरो संबंधी बीमारियों, डायबिटीज आदि में स्टेम सेल का इस्तेमाल किया गया है। इससे रोगी को अपेक्षित फायदा मिला है। इसके अलावा रीढ़ की चोट में भी इसका इस्तेमाल किया गया। अभी सवा दो सौ रोगियों को स्टेम सेल थेरेपी दी गई है। प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि स्टेम सेल बैंक बनने के बाद और आसानी होगी। अभी रोगी की बोन मैरो से स्टेम सेल ली जाती है। इसके बाद नवजात की नाड़ की स्टेम सेल का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

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