गाय के गोबर से बने दीपक से महकेगा घर और पर्यावरण, इनमें मिले हैं तुलसी और अश्वगंधा के बीज अंकित शुक्ला

राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद ने राष्ट्रीय कामधेनु दीवाली मनाने के लिए 51 लाख दीप का लक्ष्य जिसमें सैकड़ो परिवार को बनाया आत्मनिर्भर अंकित शुक्ला

उन्नाव राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद संस्थापक व अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने दीपों के त्योहार दीपावली पर इस बार न केवल लोगों का घर बल्कि पर्यावरण भी महकेगा. शहर की करीब सैकड़ो महिलाओं के एक संस्था ने दीपावली पर गाय के गोबर से दीपक, धूपबत्ती, पूजा की थाली समेत पच्चीस प्रकार के सामान तैयार किए हैं. गाय के गोबर से निर्मित ये दीपक और अन्य पूजन सामग्री जहां घर को महाकाएंगी, वहीं इनमें मौजूद तुलसी, अश्वगंधा जैसे बीजों से नए पौधे भी तैयार हो सकेंगे महिलाओं ने अब तक एक लाख दीपक और अन्य पूजन सामग्री की बिक्री कर दी है. साथ ही 51 लाख दीपक बेचने का लक्ष्य रखा है. संस्था के अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि हम गाय के गोबर से करीब सौ से अधिक प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं. इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करते हैं गाय के गोबर से दीपक, पूजा की थाली, स्वास्तिक, ओम, धूपबत्ती जैसे पच्चीस प्रोडक्ट तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया है. अब ये महिलाएं अलग-अलग ग्रुप में घर पर ही गाय के गोबर से दीपक और अन्य पूजन सामग्री तैयार कर बिक्री कर रही हैं

अब तक सवा लाख दीपक बिके अंकित ने बताया कि इस बार दीपावली पर 51 लाख दीपकों के बिक्री का लक्ष्य है. अब तक महिलाओं की ओर से निर्मित सवा लाख दीपक की बिक्री हो चुकी है. शहर के काशीराम निवासी महिला गुड्डी ने बताया कि करीब 8 महिलाएं घर पर ही गाय के गोबर से दीपक व अन्य सामान तैयार करती हैं. इसके लिए आस-पड़ोस की पालतू गाय और सड़कों पर घूमने वाली गायों का गोबर इकट्ठा कर लेती हैं. आरती ने बताया कि अब तक 25 हजार दीपक और अन्य सामान तैयार किए हैं, जिसमें से 20 हजार दीपक बिक चुके हैं. इसी तरह अन्य ग्रुप की महिलाएं भी घरों पर ही दीपक तैयार कर वहीं पर बिक्री कर रही हैं हर आकार के दीपक कि महिलाओं ने 8 प्रकार के अलग अलग आकार और डिजाइन के दीपक तैयार किए हैं. ये 1 रुपए से 10 रुपए तक कीमत के हैं. इसके अलावा 10-10 रुपए कीमत के स्वास्तिक, ॐ, श्री, पूजन थाली, 50 रुपए से 150 रुपए तक के लक्ष्मी- गणेश जी, 15 रुपए की धूप बत्ती आदि तैयार की है गाय के गोबर से बने सामान शुद्धः अंकित शुक्ला ने बताया कि गाय के गोबर से निर्मित सभी सामान शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं. इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में इनके उपयोग का विशेष महत्व है. माना जाता है कि गाय के गोबर से निर्मित धूप बत्ती और दीपक जलाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है दीपक से निकलेगा पौधाः अंकित ने बताया कि मिट्टी के दीपक आग में पकने के बाद आसानी से मिट्टी में नहीं मिलते, लेकिन गाय के गोबर से निर्मित दीपक आग में पका हुआ नहीं होने की वजह से आसानी से गलकर मिट्टी में मिल जाता है.

साथ ही हम प्रत्येक दीपक में तुलसी और अश्वगंधा जैसे पौधों के बीज भी मिलाते हैं. दीपक जलाने के बाद दीपक को जहां कहीं मिट्टी में डालेंगे वहीं पर वो बीज अंकुरित हो जाएगा और पौधा उगेगा. इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा गाय के गोबर से दस हजार रुपए माह तक कमाई कि गाय के दूध के अलावा गाय के गोबर से भी आमदनी की जा सकती है. यदि गाय के गोबर से प्रोडक्ट तैयार कर बिक्री की जाए तो हर माह 3 हजार से 10 हजार रुपए तक की आमदनी हो सकती है. उससे गायों को आवारा नहीं छोड़ना पड़ेगा और परिवार के लिए अतिरिक्त आमदनी का साधन तैयार हो जाएगा अंकित शुक्ला ने बताया कि हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। इसका महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब दिवाली पर गणेश-लक्ष्मी और गोवर्धन की पूजा होती है इनसे गोशालाएं भी आत्मनिर्भर बनेंगी और गो माता किसी को बोझ नहीं लगेगी। इस कार्य से प्रदेश भर के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है गाय के गोबर से बने दीपक पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं।

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