उन्नाव। मुख्य अभियंता विद्युत वितरण क्षेत्र रायबरेली रामप्रीत प्रसाद ने बुधवार को दिनभर पुरवा कार्यालय में रहकर विभागीय योजनाओं की समीक्षा की थी। देर शाम तक बैठक का दौर चला। हैरानी की बात यह रही कि अचलगंज में विभागीय त्रुटि से सदमे में शुभम के आत्महत्या करने की जानकारी उन तक नहीं पहुंची। वह देर शाम लखनऊ भी लौट गए थे लेकिन जब रात में मामला शासन तक पहुंचा तो खलबली मच गई।
प्रकरण में सफाई देने के लिए वह रात करीब 11 बजे आनन-फानन लखनऊ से चलकर दही चौकी स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुंच गए। यहां पर मीडिया कर्मियों को बुलाया गया। हालांकि ज्यादा रात होने के कारण कुछ लोग ही पहुंच सके। मुख्य अभियंता ने विभाग के अफसरों को घटना में क्लीन चिट देते हुए पाक साफ बता दिया।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता ने 14 सितंबर को संशोधित बिल 16,377 का भुगतान कर दिया था। इससे उसका बिल बकाया शून्य हो गया था। सात अक्तूबर को मीटर रीडर ने 580 केडब्ल्यूएच रीडिंग डालकर 33 यूनिट का बिल जारी किया लेकिन त्रुटिवश 1500 यूनिट पर सीलिंग आधारित बिल (सीडीआर) बिल 8306 रुपये जारी हो गया।
मामले में आठ अक्तूबर को एसडीओ बंथर कार्यालय ने बिल संशोधन शुरू किया और नौ अक्तूबर को संशोधित बिल का अनुमोदन करके संशोधन कर दिया। मुख्य अभियंता के मुताबिक, उपभोक्ता की मौत का कारण बिल संबंधित विवाद नहीं बल्कि पारिवारिक समस्या है। अपने दावे का आधार उन्होंने विभिन्न लोगों से वार्ता को बताया।
नौ अक्तूबर की सुबह युवक का लटका मिला शव, उसी दिन हुआ बिल संशोधन
मुख्य अभियंता ने बताया कि पीड़ित को मिले 8306 रुपये के बिल में संशोधन का काम आठ अक्तूबर को शुरू हुआ था, जो नौ अक्तूबर को पूर्ण हो सका था। वहीं नौ अक्तूबर की सुबह ही पीड़ित शुभम का शव कोठरी में लटका मिला था। इसका सीधा सा अर्थ है कि जिम्मेदारों ने बिल समय पर संशोधित नहीं किया। जबकि बिल सात अक्तूबर को जारी हो गया था। यदि आठ अक्तूबर को संशोधित बिल जारी करके शुभम को इसकी जानकारी दे दी जाती तो शायद वह आत्महत्या जैसा कदम न उठाता। जब नौ अक्तूबर को संशोधन पूर्ण हुआ तब तक शुभम फंदे पर झूल चुका था। आखिर में संशोधन बिल जो निकला था वह मात्र 150 रुपये था। इस संबंध में जब मुख्य अभियंता से सवाल किया गया तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।