गंगा एक्सप्रेस-वे पर नवंबर 2025 तक सफर का आनंद लिया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि गंगा एक्सप्रेसवे का अभी 60 प्रतिशत ही निर्माण कार्य पूरा हुआ है। अभी 40 प्रतिशत शेष काम पूरा किया जा रहा है। वैसे परियोजना की कार्यावधि भी नवंबर 2025 है।
जनपद में 105 किमी के क्षेत्रफल को आच्छादित करते हुए निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस के प्रस्तावित रूट पर 26 अंडरपास बनने हैं। इसके अलावा बाद में कुछ जगहों पर ग्रामीणों की मांग पर पांच से छह स्थानों पर और अंडरपास प्रस्तावित किए गए थे जो अभी बनाए जा रहे हैं।
कार्यदायी संस्था पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर के इंजीनियरों का कहना कि अंडरपास का निर्माण तेजी के साथ पूरा कराया जा रहा है। वहीं अलगनगढ़ में ग्रामीणों द्वारा की गई अंडरपास की मांग को मान ली गई है। जबकि, सफीपुर के मत्तूखेड़ा मजरा रहीमाबाद में किसानों द्वारा अंडरपास की मांग पर किए गए धरना-प्रदर्शन पर अभी कोई निर्णय नहीं निकल सका है।
वहीं, कानपुर-लखनऊ हाईवे पर बसीरतगंज व कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर नेवरना में एक-एक फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है। इसका काम भी 60 प्रतिशत पूरा हुआ है। जबकि, 40 प्रतिशत कार्य शेष है। मार्ग पर मिट्टी भराई का काम 80 प्रतिशत पूरा हुआ है।वहीं डामरीकरण में अभी लगभग 40 प्रतिशत काम शेष है। एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद जिले से प्रयागराज तक की 211 किलोमीटर की दूरी मात्र ढाई घंटे में पूरी होगी। मेरठ से प्रयागराज के बीच बन रहा गंगा एक्सप्रेसवे जिले की छह तहसीलों के 76 गांवों से होकर निकल रहा है।
एक्सप्रेसवे के लिए जिले में 1314 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। 18 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहजहांपुर में एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। प्रदेश सरकार ने कार्यदायी संस्था को तेजी से निर्माण पूरा करने का आदेश दिया है। इसमें शामिल 12 जिलों के औद्योगिक और आर्थिक विकास को लाभ पहुंचाएगा।
अधिग्रहण व मुआवजा की स्थिति
विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी प्रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में अधिग्रहण के दायरे में आए 18644 किसानों को 11.38 अरब रुपये का मुआवजा भुगतान किया जाना है। जिसमें अभी 1185 काश्तकारों को 65 करोड़ का मुआवजा दिया जाना लाइन में है। यह वह काश्तकार हैं, जिनका पैसा यूपीडा से प्रशासन को आ चुका है। लेकिन संबंधित काश्तकारों के भुगतान को लेकर चल रहे वाद, मुकदमा, आपत्तियां आदि निस्तारण के साथ ही भुगतान किया जा रहा है।
राज्य के पश्चिमी हिस्से से जोड़ने वाला एक प्रमुख कारिडोर
गंगा एक्सप्रेसवे को उत्तर प्रदेश के 12 से अधिक जिलों को जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। यह कारिडोर पूर्वी उत्तर प्रदेश को राज्य के पश्चिमी हिस्से से जोड़ने वाला एक प्रमुख कारिडोर होगा। राज्य के पूर्वी और पश्चिमी नोड्स की कनेक्टिविटी पूरे कारिडोर के बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास को सक्षम करेगी।वहीं गंगा एक्सप्रेसवे का उद्देश्य गंगा नदी के किनारे बसे ग्रामीण इलाकों को अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। गंगा एक्सप्रेसवे ग्रामीण उत्तर प्रदेश के अब तक असंबद्ध या खराब तरीके से जुड़े इलाकों में परिवहन नेटवर्क को सुव्यवस्थित करने में सहायक होगा।
एक्सप्रेस-वे की खासियत
- मेरठ और प्रयागराज के बीच 594 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे है।
- शुरुआत में गंगा एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा, लेकिन बाद में इसे आठ लेन का किया जाएगा।
- एक्सप्रेसवे की गति सीमा 120 किमी प्रति घंटा निर्धारित की जाएगी।
- दोनों तरफ के लेन की चौड़ाई लगभग 130 मीटर।
- जिले में तहसील पुरवा के 4, बांगरमऊ के 11, बीघापुर (पाटन) 19, हसनगंज के 7, सदर के 15 और सफीपुर के 20 गांव शामिल।
- जंक्शन: कानपुर-लखनऊ हाईवे पर सोनिक में पहला और नेवरना में बनेगा दूसरा जंक्शन।
- एक्सप्रेस वे की ऊंचाई 8 से 10 मीटर।
- दो मुख्य टोल प्लाजा बनाए जाएंगे और 15 रैंप प्लाजा प्रस्तावित किए जाएंगे
- नौ सुविधा परिसर बनाए जाएंगे, जिनमें फूड कोर्ट, शौचालय सुविधाएं आदि शामिल होंगी।
- एक्सप्रेसवे के साथ-साथ क्षेत्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है।
- डिजाइन-निर्माण-वित्त-संचालन- हस्तांतरण (डीबीएफओटी) परियोजना माडल है।
जिन पर था काम पूरा करवाने का जिम्मा वही चले गए
गंगा एक्सप्रेस वे का का काम कार्यदायी संस्था पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत लाइजिन मैनेजर सुनील कुमार व प्रोजेक्ट अधिकारी बलराम सिंह अब प्रोजेक्ट से बाहर हैं। सुनील कुमार ने बताया कि वह अयोध्या में काम देख रहे हैं। जबकि, बलवंत सिंह ने प्रोजेक्ट से रिजाइन कर देने की बात कही। परियोजना पर हो रहा खर्च कुल लागत 37,350 करोड रुपये, जिसमें करीब 9,500 करोड रुपये भूमि अधिग्रहण की लागत शामिल है।