भारतीय सेना ने मई 2015 में आकाश मिसाइलों के पहले बैच को शामिल किया। पहली आकाश मिसाइल मार्च 2012 में भारतीय वायु सेना को सौंपी गई थी। मिसाइल को औपचारिक रूप से जुलाई 2015 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था।
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ओडिशा के गोपालपुर सीवर्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना के चेतक कोर के वायु रक्षा योद्धाओं ने दिन और रात के समय लक्ष्य बनाकर कम ऊंचाई और अधिकतम सीमा पर सटीकता के साथ आकाश मिसाइल से फायरिंग की। दक्षिण पश्चिमी सेना कमान ने कहा कि सटीक फायरिंग भारतीय सेना की सेना वायु रक्षा कोर की परिचालन तत्परता और अत्याधुनिक क्षमताओं का उदाहरण है।
आकाश मिसाइल में एक साथ चार निशानों को तबाह करने की ताकत
बता दें कि आकाश मिसाइल एक साथ चार निशानों को तबाह करने की ताकत रखता है। आत्मनिर्भर भारत पहल को बढावा देने के लिए आकाश मिसाइल प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। यह डीआरडीओ द्वारा निर्मित एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया गया था, जिसमें नाग, अग्नि और त्रिशूल मिसाइल और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल का विकास भी शामिल था। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार, भारत दुनिया का पहला देश है जिसके पास आकाश मिसाइल जैसी तकनीक और ताकत है।
2015 में भारतीय वायुसेना में किया गया था शामिल
भारतीय सेना ने मई 2015 में आकाश मिसाइलों के पहले बैच को शामिल किया। पहली आकाश मिसाइल मार्च 2012 में भारतीय वायु सेना को सौंपी गई थी। मिसाइल को औपचारिक रूप से जुलाई 2015 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। प्रणाली में एक लॉन्चर, एक मिसाइल, एक नियंत्रण केंद्र, एक बहुक्रियाशील अग्नि नियंत्रण रडार, एक प्रणाली हथियार और विस्फोट तंत्र, एक डिजिटल ऑटोपायलट, C4I (कमांड, नियंत्रण संचार और खुफिया) केंद्र और सहायक जमीनी उपकरण शामिल हैं।