कुंभ स्नान का महत्व : गंगाजल में इस दिन सबसे ज्यादा जीवाणु…बनते हैं इम्यूनिटी बूस्टर, जीवन भर होगा बचाव

इस दिन गंगा की एक डुबकी कुछ देर की ही ताजगी देगी, लेकिन जीवन भर काम आने वाली इम्यूनिटी से भर देगी। खतरनाक जीवाणुओं से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति अपने अंदर होगी। 

Importance of Kumbh Snan: Gangajal has highest number of bacteria on this day...it becomes an immunity booster

महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान, पौराणिक ही नहीं बल्कि मेडिकल साइंस की नजर में भी बहुत बड़ा महत्व रखता है। इस दिन गंगा की एक डुबकी कुछ देर की ही ताजगी देगी, लेकिन जीवन भर काम आने वाली इम्यूनिटी से भर देगी। खतरनाक जीवाणुओं से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति अपने अंदर होगी। 

बीएचयू, मोती लाल नेहरू प्रयागराज और केजीएमयू लखनऊ समेत देश भर के 31 वैज्ञानिकों की टीम ने 2013 के महाकुंभ और 2019 के कुंभ में 6 शाही स्नान के दिन सात स्नान घाट से गंगाजल के 760 नमूने लिए। पानी की जांच करने पर पता चला कि इस दिन नदी में सबसे ज्यादा माइक्रोबियल लोड है।

यानी कि पानी में सूक्ष्म जीवियों की संख्या बढ़ी हुई थी। दुनिया भर से आए भांति-भांति के लोगों से निकले जीवाणु गंगाजल में घुले मिले थे, लेकिन इनसे संक्रमण की बजाय रोग से लड़ने की शक्ति मिलती दिखी। 

इस रिसर्च के अनुसार, पानी के बहाव और फैलाव की वजह से जीवाणुओं का लेयर पतला या गैर सक्रिय हो जाता है। ऐसे में यहां नहाने वालों को संक्रमित करने के बजाय उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। मौनी अमावस्या पर गंगाजल नेचुरल वैक्सीन की तरह काम करता है। संवाद

गंगा के पांच स्पॉट से पानी के 760 सैंपल की जांच

  • बीएचयू के पूर्व रिसर्चर डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी ने कहा कि कुंभ  में शाही स्नान से पहले और बाद में गंगा के पांच स्पॉट से पानी के 760 नमूने लिए गए।  ये पानी कुंभ के पूर्व, मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के शाही स्नान के दौरान इकट्ठा किए गए। 

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