उन्नाव में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण गंगा की रेती में जायद की फसल बोने वालों तमाम किसानों की फसल जलमग्न हो गई। जिससे उन्हें हजारों का नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा अचानक पानी बढ़ने से कई पंडों के तख्त और झोपड़ियों के आस पास पानी पहुंच गया।
बैराज से जाजमऊ तक की डूबी फसलें
गंगा की रेती में बैराज से लेकर जाजमऊ तक तमाम किसान जायद की फसल बोते हैं। इस बार मौसम अनुकूल होने पर किसानों से समय पर फसलें बोई। बैराज बांध से पानी छोड़े जाने के कारण शुक्लागंज की ओर तेजी से पानी फैलने लगा। इसी तरह गंगाा का जलस्तर बढ़ता रहा। जलस्तर बढ़ने के कारण बैराज से लेकर जाजमऊ तक तमाम किसानों की जायद की फसल डूब गई। जिससे किसानों को हजारों का नुकसान पहुंचा है। किसानों ने बताया कि मार्च माह में भी गंगा का जलस्तर बढ़ने से उनकी फसलें खराब हो गई थी। इधर एक बार फिर गंगा का जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे देखने को मिल रहीं हैं।
इन क्षेत्रों में होती है ज्यादा फसलें
गंगा कटरी के शंकरपुर, सन्नी सरायं, कन्हवापुर, लक्ष्मी खेड़ा, फत्तेखेड़ा, चंपापुरवा, गगनी खेड़ा, नेतुआ, गोताखोर, मनसुख खेड़ा, तेजीपुरवा, इंद्रा नगर, प्रेम नगर, मंशा खेड़ा, नाथू खेड़ा, पीपर खेड़ा, झब्बूपुरवा, चंदन घाट आदि तमाम गंगा के किनारे गांव में रहने वाले किसानों ने रेती की खेती कर रखी है। कड़ाके की सर्दी में किसानों की बीज बोने में कई बार भारी नुकसान हुआ, लेकिन कुछ ही दिनों में मौसम सामान्य होने लगा, फसल इस समय लहलहाने लगी थीं। खीरा, ककड़ी, तरोई, लौकी, कद्दू के फूल भी निकल आये तो अब जलस्तर ने बर्बाद कर दिया।