16 मई 1996 तक पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री रहे। उसके बाद राजनीति में ऐसा बदलाव आया कि 19 मार्च 1998 आने तक देश ने चार प्रधानमंत्री देख लिए थे। आइए जानते हैं 22 महीने के भीतर में चार प्रधानमंत्री कैसे बदले।
लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन पर जमकर हमला बोला था। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोग वन ईयर वन पीएम फॉर्मूला बना रहे हैं। यानी एक साल एक पीएम, दूसरे साल दूसरा पीएम, तीसरे साल तीसरा पीएम, चौथे साल चौथा पीएम, पांचवें साल पांचवां पीएम। हालांकि, अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि ऐसा पहली बार नहीं होगा। इससे पहले भी करीब दो साल के अंदर चार पीएम बदल चुके हैं।
आइए जानते हैं 22 महीने के भीतर में चार प्रधानमंत्री कैसे बदले-
देश के इतिहास में प्रधानमंत्रियों का बदलना सन् 1996 से शुरू हुआ। दरअसल, सन् 1996 में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। 16 मई 1996 तक पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री रहे। उसके बाद राजनीति में ऐसा बदलाव आया कि 19 मार्च 1998 आने तक देश ने चार प्रधानमंत्री देख लिए थे।
- देवेगौड़ा के कार्यकाल में ही विदेश मंत्री रहे इन्द्र कुमार गुजराल ने अगले प्रधानमंत्री के रूप में 1997 में पदभार संभाला। उन्हें भी छह महीने बाद इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद लोकसभा भंग कर दी गई थी। गुजराल कार्यकारी प्रधानमंत्री बने रहे थे।
- चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मार्च 1998 में एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे।
अटल विहारी बने थे तीन बार प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। 16 मई 1996 को उन्होंने पहली बार शपथ ली। हालांकि बहुमत न जुटा पाने के कारण महज 13 दिन बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वह 1998 से 1999 तक पीएम रहे। ये सरकार केवल 13 महीने चली थी। तीसरी बार वह 1999 से 2004 तक पीएम रहे।
इसलिए देवेगौड़ा को पद से हटना पड़ा था
अटल विहार के इस्तीफे के बाद संयुक्त मोर्चा के एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। एक जून 1996 को पदभार संभालने वाले देवेगौड़ा इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। देवेगौड़ा महज 10 दिन ही पद पर रह पाए। सन् 1997 में ही इस्तीफा देना पड़ा।
गुजराल भी नहीं पूरा कर सके कार्यकाल
देवेगौड़ा के इस्तीफे के बाद उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे इंद्र कुमार गुजराल संयुक्त मोर्चा संसदीय दल के नेता चुने गए। 21 अप्रैल 1997 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। गुजराल भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उन्हें भी नवंबर 1997 में इस्तीफा देना पड़ा। महज सात महीने चली उनकी सरकार गिरने के बाद नए सिरे से चुनाव हुए और मार्च 1998 में एक बार फिर अटल विहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस तरह 22 महीने के भीतर अटल विहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और देश ने चार नए प्रधानमंत्री देखे।
दूसरी बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके अटल विहारी
1998 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अटल विहारी वाजपेयी महज 13 महीने चल पाई। इसके बाद देश में एक बार फिर नए सिरे से चुनाव हुए। 1999 में एक बार फिर अटल विहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सरकार बनी। अटल विहारी वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। 1996 से देश की राजनीति में चल रहा अस्थिरता का यह दौर 1999 में थम गया। तब से लेकर अबतक कोई सरकार ऐसी नहीं रही, जिसने अपना कार्यकाल पूरा न किया हो।