Rae Bareli: पांचवें चरण के ठीक पहले रायबरेली में सपा के नेता रहे मनोज पांडेय भाजपा में शामिल हो गए। इस बदलाव का प्रदेश के ब्राह्मण वोटों पर कितना प्रभाव पड़ेगा?
अवध में पांचवें चरण के मतदान से पहले 17 मई को दूसरी बार रायबरेली पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय के सहारे ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की। रायबरेली, अमेठी, कौशांबी व फतेहपुर की जनता के बीच राजनीतिक समीकरण साधने में माहिर ब्राह्मण चेहरा मनोज पांडेय शुक्रवार को 20 साल बाद फिर भाजपा के हो गए। चर्चा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में ही गृहमंत्री की नजर मनोज पर पड़ गई थी। तभी से वह मनोज को भाजपा में लाने के लिए प्रयासरत थे। इसमें शुक्रवार को वह सफल भी हो गए।
भाई राकेश पांडेय की हत्या के बाद मनोज राजनीतिक विरासत संभालने के लिए मैदान में उतरे। वर्ष 2000 में भाजपा के टिकट पर नगर पालिका रायबरेली के अध्यक्ष का चुनाव लड़े और जीते। हालांकि वर्ष 2004 में वे सपा में शामिल हो गए। उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया गया। 2012 से वे लगातार तीसरी बार ऊंचाहार विधानसभा सीट से विधायक बने। सपा से विधानमंडल का मुख्य सचेतक रहते हुए उन्होंने सपा से बीते फरवरी माह में ही दूरियां बना लीं। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद स्पष्ट हो गया था कि कभी न कभी वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
लोकसभा की कई सीटों पर दिखेगा असर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मनोज पांडेय के भाजपा में शामिल होने के बाद यूपी के जिलों में सियासी फायदा भाजपा को मिल सकता है। खासकर पांचवें चरण में।
राम व सनातन नहीं छोड़ेंगे, विधायकी चली जाए तो जाए : मनोज
ऊंचाहार क्षेत्र के दौलतपुर में आयोजित जनसभा में डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि भगवान राम व सनातन का साथ नहीं छोड़ेंगे। इसके लिए चाहे राजनीति छोड़नी पड़े या विधायकी। विधानसभा में भी कई बार भगवान राम के साथ ही खड़े हुए। तंज कसते हुए कहा कि राहुलजी, प्रियंकाजी रायबरेली के लोगों से परिवार का खेल करना बंद करिए। अब रायबरेली की जनता सबकुछ समझ गई है।