हेड कांस्टेबल की मौत: दरोगा को क्लीनचिट, वीडियो बनाकर गलत तरीके से वायरल करने वाले पर कसेगा शिकंजा, पढ़ें मामला

Kanpur News: अधिकारियों ने दरोगा की महज नौ माह ही उसकी नौकरी बचे होने से लेकर उसके पानी पिलाने व सीपीआर देकर फोटो पहचान करने के लिए खींचने की दलील दी है। लेकिन इस बात का जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे कि पहचान में समय गंवाने की बजाय पहले अस्पताल क्यों नहीं ले गए।

Head constable death Case, Inspector gets clean chit, action will be taken against  person who made the video

कानपुर में सेंट्रल स्टेशन के गेट नंबर एक के पास बेसुध हेड कांस्टेबल ब्रज किशोर को अस्पताल ले जाने की बजाय वीडियो बनाने के आरोपी दरोगा जग प्रताप को डीसीपी पूर्वी ने क्लीनचिट दे दी है। पुलिस का दावा है कि दरोगा ने हेड कांस्टेबल को बचाने का हर संभव प्रयास किया था।उसकी पहचान के लिए पीएनओ नंबर का फोटो खींचते समय ही किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अब पुलिस वीडियो बनाने वाले शख्स की पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। दरअसल, मूलरूप से झांसी के खटकयाना समथर देहात निवासी हेड कांस्टेबल ब्रज किशोर वर्तमान में रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात थे।

मंगलवार को वह तीन दिन के अवकाश पर गृह जनपद जाने के लिए सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंचे लेकिन गेट नंबर एक के सामने चक्कर आने पर पान मसाला की दुकान के पास बैठ गए। बावर्दी हेड कांस्टेबल को बदहवास देख घाटमपुर निवासी धीरू शर्मा ने सहारा दिया।

जग प्रताप ने पानी पिलाकर सिपाही को सीपीआर दिया
फिर घंटाघर चौराहे पर बने पुलिस बूथ में मौजूद दरोगा जग प्रताप सिंह को सूचना दी। डीसीपी पूर्वी के अनुसार जग प्रताप ने पानी पिलाकर सिपाही को सीपीआर दिया। फिर हेड कांस्टेबल और पीएनओ नंबर की फोटो खींचकर पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक को भेज दी,ताकि उसकी पहचान हो सके।

सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश कर पोस्ट कर दिया
इसके बाद टेंपो के जरिये केपीएम अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान हेड कांस्टेबल की मौत हो गई। कहा कि किसी युवक ने दरोगा के फोटो लेते हुए का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश कर पोस्ट कर दिय

बड़ा सवाल, अस्पताल ले जाने की बजाय पहचान पर जोर क्यों
अधिकारियों ने दरोगा की महज नौ माह ही उसकी नौकरी बचे होने से लेकर उसके पानी पिलाने व सीपीआर देकर फोटो पहचान करने के लिए खींचने की दलील दी है। लेकिन इस बात का जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे कि पहचान में समय गंवाने की बजाय पहले अस्पताल क्यों नहीं ले गए। ऐसा भी संभव था कि अगर पहचान करने में समय बर्बाद करने की बजाय तत्काल अस्पताल ले जाया जाता तो हेड कांस्टेबल की जान बच जाती।

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