स्टेशनरी कारोबारी हत्याकांड: चारपाई पर सोते समय चेहरे पर कई वार, प्रेम संबंधों और नशेबाजी पर जांच, पढ़ें मामला

Kanpur News: बिल्हौर के घेमउ गांव में स्टेशनरी कारोबारी की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारे ने चारपाई पर सोते समय चेहरे पर कई वार कर मौत के घाट उतारा है। मामले में न आला कत्ल मिला है और न ही परिजन हत्या का कारण बयां कर सके हैं। पुलिस नशेबाजी, आशनाई, व्यापारिक लेनदेन के बिंदु पर जांच में जुटी है।

Stationery businessman murder, Multiple blows on face while sleeping, investigation on affair and debauchery

कानपुर में बिल्हौर कोतवाली क्षेत्र के घेमउ गांव में रविवार की देर रात घर के बाहर सो रहे स्टेशनी व्यापारी की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। वारदात को अंजाम देने के दौरान हत्यारों ने घर का मुख्य दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था। सुबह व्यापारी की मां के आवाज लगाने पर पड़ोसियों ने दरवाजा खोला। तब घटना की जानकारी हो सकी।खास बात यह है कि पास ही कई घरों के लोग बाहर बरामदे में सोते रहे, लेकिन किसी को भनक नहीं लगी। सूचना मिलने पर डीसीपी विजय ढुल व एसीपी बिल्हौर अजय त्रिवेदी ने पहुंचकर घटना की जानकारी ली। फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए। डॉग स्क्वायड भी हत्यारों का सुराग नहीं दे सका। घेमउ गांव में रहने वाली सुनीता तिवारी के पति उमेश तिवारी की कई साल पहले मौत हो चुकी है।

स्टेशनरी बेचने का काम करता था रामजी
वह अपने तीन बेटों गणेश तिवारी, रामजी तिवारी (30) और रजत तिवारी के साथ रहती हैं। गणेश तिवारी बिल्हौर तहसील में अधिवक्ता हैं। गणेश तिवारी ने पुलिस को बताया कि मझला भाई रामजी तिवारी स्कूलों में कापी-किताब व स्टेशनरी बेचने का काम करता था। रात लगभग 10 बजे खाना खाने के बाद पूरा परिवार सो गया था। गांव में आमने-सामने उनके दो मकान हैं।

धारदार हथियार से चेहरे पर कई वार किए गए
एक मकान में स्टेशनरी का सामान रखा रहता है। इसलिए रामजी वहीं बाहर बरामदे में सो रहा था। देर रात में किसी समय धारदार हथियार से रामजी के चेहरे पर कई वार किए गए। इससे उसकी मौत हो गई। गणेश के मुताबिक हत्यारों ने घर के मुख्य द्वार का दरवाजा बंद कर दिया था। मां सुनीता ने सुबह कई बार आवाज लगाई, लेकिन रामजी ने कोई जवाब नहीं दिया। इस पर छत से पड़ोसियों को आवाज लगाई।

एक बुजुर्ग व उसके भतीजे के हिरासत में हो रही है पूछताछ
उन लोगों ने आकर दरवाजा खोला। तब वारदात की जानकारी हो सकी। थाना प्रभारी केशव तिवारी ने बताया कि गणेश तिवारी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। परिजनों के शक जताने पर पड़ोस के एक बुजुर्ग व उसके भतीजे के हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। घटना के खुलासे के लिए क्राइम ब्रांच, सर्विलांस समेत पुलिस की पांच टीमें गठित की गई हैं।

सीसीटीवी कैमरे 19 जून से थे बंद
रामजी तिवारी ने अपने नये घर में स्टेशनरी का स्टॉक रखने की वजह से कई सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे, लेकिन कैमरे 19 जून से खराब थे। पुलिस के मुताबिक यदि कैमरे ठीक होते पूरी घटना कैद हो जाती। वहीं, फोरेंसिक टीम ने डीवीआर व कैमरे की जांच की तो वह सही पाए गए। सीसीटीवी कैमरे क्यों बंद कराए या किए गए, पुलिस इसकी जांच कर रही है।

मोबाइल कॉल पर सही लोकेशन नहीं देता था रामजी
रामजी तिवारी कई दिनों से मोबाइल फोन पर आने वाली कॉल पर अपनी सही लोकेशन नहीं बता रहे थे। ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि लगभग सात दिनों से रामजी के पास जितनी भी कॉल आ रही थी। सभी को यही बताते थे कि वह कानपुर में हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि रुपये के लेनदेन के विवाद में वारदात को अंजाम दिया गया है।

प्रेम संबंधों और नशेबाजी के बिंदु पर भी हो रही जांच
पुलिस सूत्रों के मुताबिक रामजी तिवारी का स्टेशनरी का व्यापार लगातार बढ़ रहा था। उसके पास पर्याप्त धन भी रहता था। इसी कारण उसने सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। पुलिस की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि वह नशे का आदी था और देर रात तक मोबाइल पर बातें करता था। पुलिस आशनाई और नशेबाजी को लेकर हत्या के बिंदु पर भी जांच कर रही है।

किस हथियार से हुई हत्या, स्पष्ट नहीं
रामजी तिवारी की हत्या सिर पर किए गए वार से हुई है। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिसकर्मी सरिया, सूजा व बेलचा से हमलाकर हत्या की बात परिजनों व ग्रामीणों को बताते रहे। लेकिन फोरेंसिक टीम के एक सदस्य ने गोली मारकर हत्या की बात कही, जो परिजनों व ग्रामीणों के गले नहीं उतर रही है। हालांकि पुलिस का कहना है कि हत्या किस हथियार से हुई है, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही स्पष्ट हो सकेगा।

आठ साल पहले पड़ोसी से हुआ था विवाद
रामजी तिवारी की मां सुनीत, भाई गणेश व रजत के शक जताने पर पुलिस ने पड़ोस के एक बुजुर्ग व उसके भतीजे को हिरासत में लिया है। परिजनों ने पुलिस को बताया कि लगभग आठ साल पहले दोनों के बीच विवाद हुआ था। उधर, घटनास्थल के समीप ही कई घरों के पड़ोसी बाहर बरामदे में ही सोते रहे, लेकिन किसी को कानोंकान खबर तक नहीं लगी।

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