ट्रेन में यात्रा के दौरान फौजियों से दोस्ती करने के बाद टप्पेबाजी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। शातिर के खिलाफ 18 राज्यों में 35 मामले दर्ज हैं। पुलिस के मुताबिक आरोपी अब तक 1200 से 1400 वारदात को अंजाम दे चुका है।
फिल्म डॉन में एक डायलॉग था, जो आज भी बड़ा मशहूर है। डॉन का इंतजार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है। शहर में पकड़े गए एक टप्पेबाज ने तो पुलिस को 12 राज्यों तक दौड़ा डाला। करीब 60 दिन तक इस शहर से उस शहर की खाक छानने के बाद पुलिस ने रविवार सुबह उसे मुरे कंपनी पुल के पास से दबोच लिया।
हरबंसमोहाल में एक फौजी की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट के बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की थी। पुलिस के मुताबिक आरोपी अब तक 1200 से 1400 वारदात को अंजाम दे चुका है। उसके खिलाफ 18 राज्यों में 35 मामले दर्ज हैं। जबलपुर में चार साल की जेल भी काट चुका है। खास बात यह है कि वह खुद को फौजी बताकर फौजियों को ही निशाना बनाता था। इसके लिए वह अक्सर ट्रेन में यात्रा करता और फौजियों से दोस्ती बनाता। बहाने से उन्हें किसी होटल में ले जाता और मौका पाते ही माल समेटकर फरार हो जाता। पकड़ा गया शातिर 25 हजार का इनामिया मिर्जापुर पड़री निवासी सुनील दुबे उर्फ लल्लू है।
डीसीपी पूर्वी एसके सिंह ने हरबंसमोहाल थाने में प्रेसवार्ता कर बताया कि पांच मई को थाने में मुजफ्फरपुर बिहार निवासी एक सीआरपीएफ कर्मी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि एक युवक ने ट्रेन में दोस्ती की। इसके बाद हरबंसमोहाल के होटल सनराइज गैलेक्सी में ले गया। मौका पाते ही उनके 2.50 लाख रुपये, पासपोर्ट, एटीएम आदि लेकर भाग गया। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। पुलिसकर्मियों को सेना की वर्दी पहनाकर आरोपी को पकड़ने का जाल बिछाया गया, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली। इस बीच आरोपी ने कलक्टरगंज में एक और वारदात को अंजाम दे डाला। हालांकि यहां लगे कैमरों से उसके फुटेज मिले। होटल में जमा की गई आईडी से पता चला कि वह मिर्जापुर निवासी सुनील दुबे उर्फ लल्लू है। डीसीपी के मुताबिक सर्विलांस टीम को लगाकर पुलिस ने करीब 12 राज्यों तक उसका पीछा किया, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह फरार हो जाता।
पड़ोसी को फोन कर घर वालों से करता था बात
डीसीपी पूर्वी के मुताबिक आरोपी बड़ा शातिर है। वह अपने घर बहुत कम जाता था। एक पड़ोसी को अक्सर फोन कर घर वालों से बात करता था। उस पड़ोसी का नंबर सर्विलांस पर लगाया गया। आखिरी बार जब आरोपी सुनील ने घर में बात की तो सर्विलांस से पता चला कि वह मुरे कंपनी पुल के पास है। इसी सुराग के आधार पर उसे पकड़ लिया गया। दोपहर बाद कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।
ये हुई बरामदगी
सुनील के पास से छह आधार कार्ड, 4090 रुपये, एक तमंचा, कारतूस, डीएल, एक निर्वाचन कार्ड, प्रेस आईडी, चार एटीएम कार्ड, पांच सिम और बाइक मिली है।
पीड़ित के मोबाइल से करता बात, नया शिकार मिलते ही बदल देता
डीसीपी के मुताबिक फौजियों को शिकार बनाने के लिए वह अक्सर ट्रेन में ही सफर करता रहता था। फौजी बनकर सेना के जवानों को जाल में फंसाकर उनका सामान लेकर फरार हो जाता था। जो कैश मिलता था, उसे अलग-अलग खातों में डाल देता था। पीड़ित के मोबाइल से ही बात करता था। दो-तीन दिन में नया शिकार मिलते ही उसका मोबाइल और नंबर चलाने लगता था। इस वजह से उसकी लोकेशन पता करने में परेशानी आ रही थी।
पुलिस पीछा करती रही, एक और फौजी को बनाया था शिकार
पुलिस टीम करीब दो महीने तक सुनील दुबे को दबोचने के लिए पीछा करती रही। बिहार के पटना, गया, पश्चिम बंगाल के कोलकाता समेत कई प्रदेशों और जिलों की खाक छानी। सुनील के लगातार मोबाइल और नंबर बदलने की वजह से पुलिस गच्चा खा जाती थी। इस दौरान उसने ट्रेन में यात्रा कर रहे एक फौजी के साढ़े पांच लाख रुपये पार दिए थे। आरोपी के मुताबिक इन रुपयों से वह वाराणसी में कार खरीदने की तैयारी कर रहा था।