बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बुलडोजर कानून के राज का प्रतीक नहीं है। केंद्र सरकार को इस मामले में गाइडलाइन तय करनी चाहिए। ऐसा न करने से ही सुप्रीम कोर्ट को मामले में दखल देना पड़ा।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि बुलडोजर कानून के राज का प्रतीक नहीं है। इसकी इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सभी के लिए इस पर गाइडलाइन बनाना चाहिए जो कि नहीं हो रहा है इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को मामले पर दखल देना पड़ रहा है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं होने के बावजूद इसके प्रयोग की बढ़ती प्रवृति चिन्तनीय है। वैसे बुलडोजर व अन्य किसी मामले में जब आम जनता उससे सहमत नहीं होती है तो फिर केन्द्र को आगे आकर उस पर पूरे देश के लिए एक-समान गाइडलाइन्स बनाना चाहिए, जो नहीं किए जा रहे हैं।
वरना बुलडोजर एक्शन के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी को खुद नहीं निभाना पड़ता, जो यह जरूरी था। केन्द्र व राज्य सरकारें संविधान व कानूनी राज के अमल होने पर जरूर ध्यान दें।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए गए एक निर्णय में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अवैध ध्वस्तीकरण संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।