उन्नाव। नौ साल पहले प्रेम प्रसंग में बेटी को जला कर शव गंगा नदी में फेंकने के दोषी पिता, मृतका के भाई, चाचा और चचेरे भाई को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। प्रत्येक पर 25-25 हजार का अर्थदंड भी लगाया है।
बारासगवर थानाक्षेत्र के पचासा गांव निवासी शिवशंकर ने 28 अगस्त 2015 को रिश्ते में साढू लगने वाले चचेरे भाई रामप्रताप यादव उर्फ छेद्दू, उसके भाई रणवीर, पुत्र सिंधराज व भतीजे बिंदेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि रामप्रताप यादव की नाबालिग बेटी बीना को आरोपियों ने गायब कर दिया है। शिवशंकर ने बताया था कि उसके पड़ोस में रामप्रताप यादव रहते हैं। रामप्रताप की नाबालिग बेटी बीना, बारासगवर थानाक्षेत्र के तनगापुर स्थित स्कूल में कक्षा 11 की छात्रा थी। स्कूल आते जाते समय किसी हमउम्र लड़के से नजदीकी हो गई थी। घटना से कुछ दिन पहले डौंडियाखेड़ा मंदिर के पास लड़के से बातचीत करते बीना को देखा गया था। जानकारी रामप्रताप को हो गई थी। आरोप था कि 24 अगस्त 2015 की रात बीना को उसके पिता रामप्रताप, भाई सिंधराज, चाचा रणवीर और चचेरे भाई बिंदेश ने मिलकर पीटा और बाद में आग लगा दी थी।
आरोपियों ने चंदनपुर से एक चार पहिया वाहन किराये पर लिया और पीछे के रास्ते से बीना को इलाज के लिए लेकर निकले लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी। पुलिस को सूचना दिए बिना नाव के जरिए शव को गंगा नदी की बीच धारा में फेंक दिया था। हालांकि तहरीर मिलने पर पुलिस ने नदी में काफी तलाश की लेकिन शव नहीं मिला था।
मुकदमे की विवेचना कर रहे तत्कालीन एसएचओ श्रीकांत द्विवेदी ने 29 अगस्त 2015 को चारों आरोपियों के खिलाफ धारा 302, 201 की बढ़ोतरी करते हुए 30 अगस्त को जेल भेजा था। 27 जुलाई 2016 को चारों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया। मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में विचाराधीन था। शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश रवि प्रकाश साहू ने चारों आरोपियों रामप्रताप यादव उर्फ छेद्दू, सिंधराज, रणवीर और बिंदेश को ऑनर किलिंग का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।