
उन्नाव। जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लिवर व किडनी की जांच छह दिन से बंद होने से मरीजों को निजी पैथोलॉजी में जांच करानी पड़ रही है। इन छह दिनों में 240 मरीजों ने निजी पैथोलॉजी में जांच कराई। इस पर उनके 1.92 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि 180 मरीज अभी जांच का होने का इंतजार कर रहे हैं।
जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 1500 मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें लगभग 400 मरीज पेट संबंधित बीमारियों से पीड़ित रहते हैं। ऐसे मरीजों को डॉक्टर केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट ) और एलएफटी (लीवर फंक्शन टेस्ट ) की जांच लिखते हैं। लेकिन छह दिन से जिला अस्पताल में किडनी, लिवर जांच के लिए रिजेंट नहीं है। इससे मरीजों की जांच नहीं हो पाा रही है। लगातार मरीजों को वापस किया जा रहा है।
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जिस कंपनी की मशीन उसी का लगेगा रिजेंट
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, लिवर, किडनी जांच के लिए शासन स्तर से जो मशीन लगवाई गई। उस मशीन में उसी कंपनी का रिजेंट लग सकता है। किसी दूसरी कंपनी का रिजेंट डालकर जांच नहीं कराई जा सकती है। इससे लेट-लतीफी हो रही है।
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60 हजार की केमिकल किट से होती है 150 जांचें
लिवर जांच के लिए 125 एमएल के सात प्रकार केमिकल का एक पूरा सेट प्रयोग किया जाता है। इससे 150 मरीजों की जांच की जा सकती है। यह केमिकल औसतन 60 हजार रुपये का होता है। ठीक इसी प्रकार से किडनी जांच में भी होता है। इस हिसाब से एक मरीज पर करीब 400 रुपये का खर्च आता है।
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बोले जिम्मेदार
पीओसीटी संस्था की सेलेक्ट्रा मशीन लगी है। उसी कंपनी का रिजेंट डाला जाएगा। रिजेंट के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। जानकारी मिली है कि शासन स्तर से बजट पास हो गया है, दो से तीन दिन में उपलब्ध हो जाएगा। रोगी कल्याण निधि या अन्य माध्यमों से रिजेंट खरीदना, अधिकार क्षेत्र में नहीं है। केवल पत्राचार कर सकता हूं, बाकी शासन स्तर से होता है।
सीएमएस डॉ. आरए मिर्जा, जिला पुरुष अस्पताल