वायुसेना का मिग-29 विमान सोमवार की शाम को आगरा के कागारौल के गांव बघा सोनिगा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे की बारीकियां उड्डयन सुरक्षा निदेशालय, दिल्ली की टीम जानेगी।
मिग-29 के क्रैश हो जाने की जांच तीन अलग-अलग कमेटियां करेंगी। एयरफोर्स ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए हैं, तो वहीं उड्डयन सुरक्षा निदेशालय दिल्ली की टीम विमान दुर्घटना का सच जानेगी। आदमपुर की 28 वीं स्क्वाड्रन की जांच कमेटी भी हादसे की वजह जानने के लिए आगरा आएगी। तीनों जांच दल अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपेंगे।
एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारियों के मुताबिक वायुसेना भवन से उड्डयन सुरक्षा निदेशालय का जांच दल हादसे का कारण जानने के लिए मौके पर पहुंचता है। दूसरी जांच एयर हेडक्वार्टर से बनाई गई टेक्निकल कमेटी करती है। यह कमेटी ब्लैक बॉक्स, इंजन और पायलट की एयर ट्रैफिक कंट्रोल से बातचीत का अध्ययन करेगी और जानेगी कि पायलट की गलती से हादसा हुआ या विमान की तकनीकी खामी के कारण। इसी तरह तीसरी जांच मिग-29 की आदमपुर स्थित 28 वीं स्क्वाड्रन करेगी। आदमपुर एयरफोर्स का जांच दल भी लापरवाही और तकनीकी खामियाें की जांच करेगा, ताकि स्क्वाड्रन के अन्य विमानों की पड़ताल उसी निष्कर्ष के मुताबिक की जा सके।
एविडेंस, एनालिसिस, इन्वेस्टिगेशन….
स्क्वाड्रन लीडर (रिटायर्ड) एके सिंह ने बताया कि लड़ाकू विमानों की दुर्घटना की जांच के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रॉसीजर) बनाई गई है। दुर्घटना के तुरंत बाद ही एविडेंस, एनालिसिस और इन्वेस्टिगेशन शुरू किए जाते हैं। घटना से जुड़े साक्ष्यों को एकत्र करने, गवाहों से बातचीत, वीडियो के साथ ब्लैक बॉक्स के डाटा का सत्यापन जांच कमेटियां करती हैं। हादसा तकनीकी कारणों से हुआ है या पायलट की गलती से, यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है। उसी आधार पर भविष्य के हादसे रोकने की तैयारी की जाती है।
बचाव का उपाय अपनाएं
स्क्वाड्रन लीडर (रि.) एके सिंह ने बताया कि मिग-29 जैसे विमान का क्रैश होना बेहद गंभीर और दुखद घटना है। ऐसे हादसों से न केवल सेना की ताकत और वित्तीय स्थिति ही नहीं, बल्कि मनोबल पर भी असर पड़ता है। इसकी जांच जल्द पूरी करके हादसों से बचाव के उपाय अपनाएं ताकि पुनरावृत्ति न हो।