उन्नाव। शासन की प्राथमिकताओं में शामिल होने के बाद भी जिले में छुट्टा मवेशियों की भरमार है। शहर से लेकर हाईवे और एक्सप्रेसवे तक मवेशी, मुसाफिरों के लिए मुसीबत बने हैं। इस साल जिले में मवेशियों की चपेट में आने से 128 हादसे हुए, जिनमें 43 लोगों की मौत हुई और 92 लोग घायल हो चुके हैं।
छुट्टा मवेशियों को गोशालाओं में संरक्षित करने की कवायद जारी है, लेकिन जिले के लोगों को इनसे निजात नहीं मिल रही। पशुपालन विभाग ने जिले में 42 हजार छुट्टा मवेशी चिह्नित किए थे। इनकी टैगिंग करके गोशालाओं में संरक्षित करने का काम शुरू हुआ। लेकिन अभी भी छह हजार से अधिक छुट्टा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं। यह हाल तब है जब जिले में स्थायी और अस्थायी 322 गोशालाएं हैं। विभाग का दावा है कि इनमें 36000 मवेशी संरक्षित हैं। सड़कों पर छुट्टा मवेशी होने की हकीकत विभाग के आंकड़ों से ही बया हो रही है।
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शहर के वीआईपी क्षेत्र सिविल लाइंस में पीडब्ल्यूडी कार्यालय के पास करीब डेढ़ दर्जन मवेशी झुंड में खड़े दिखे। यह सड़क उन्नाव को हरदोई से जोड़ती है। इस वजह से यातायात दिन भर बना रहता है। आधी सड़क घेर कर खड़े मवेशी वाहनों का रास्ता रोकते रहे। सबसे ज्यादा परेशान दो पहिया वाहन सवारों को हुई।
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रात 10 बजे एसपी कार्यालय के सामने मवेशियों का झुंड परेशानी का कारण बना रहा। जिस तिराहे के पास मवेशी धमा-चौकड़ी कर रहे थे, इसी के ठीक सामने वाला रास्ता नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता मिश्रा के आवास को जाता है। यहां का नजारा मवेशियों के संरक्षित करने के दावों की हकीकत बयां करने के लिए काफी है।
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शहर के पॉश क्षेत्र में शुमार होने वाले पीडी नगर में दूर संचार केंद्र मोड़ के पास शुक्रवार रात 11 बजे बीच सड़क पर बैठा मवेशियों का झुंड मुसीबत बना रहा। वाहनों के आवागमन के बीच ही दो मवेशी आपस में लड़ गए। लोग उनसे बचते-बचाते किसी तरह निकले। यह मार्ग शहर को लखनऊ-कानपुर हाईवे से जोड़ता है।
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बोले जिम्मेदार
वर्तमान में सात स्थायी गोशालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। अगले कुछ महीने में यह बनकर तैयार हो जाएंगे। इनमें प्रत्येक गोशाला में 400 मवेशी संरक्षित किए जा सकेंगे। इससे छुट्टा मवेशियों की संख्या में और कमी आएगी।
– डॉ. महावीर प्रसाद, सीवीओ
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छुट्टा मवेशियों को पकड़ने का अभियान लगातार चल रहा है, लेकिन आसपास के गांवों से फिर मवेशी शहर में आ जाते हैं। इससे समस्या पूरी तरह हल नहीं हो पा रही। छुट्टा मवेशियों को गदनखेड़ा और कांशीराम कालोनी के पास स्थित गोशाला में संरक्षित किया जाता है। पकड़ने के काम में और तेजी लाई जाएगी।
– एसके गौतम, ईओ नगर पालिका
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गोशालाओं पर एक नजर
स्थायी गो संरक्षण केंद्र- 6
निर्माणाधीन स्थायी गो संरक्षण केंद्र- 7
ग्रामीण गोशालाएं- 288
नगरीय गोशालाएं- 21
संरक्षित मवेशी- 36000
पूर्व चिह्नित छुट्टा मवेशी- 42000