उन्नाव। सड़कें विकास की धुरी कही जाती हैं लेकिन लोक निर्माण विभाग में विकास के नाम पर सरकारी धन की जमकर बर्बादी की जा रही है। आलम यह है कि लाखों कीमत से बनी सड़कें साल भर नहीं चल पा रही हैं। हसनगंज में आठ माह पहले 72 लाख से बनी सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई। कमोबेश यही हाल बिछिया ब्लाक में सोनिक से शहजादपुर संपर्क मार्ग का भी है। दोनों ही सड़कों में गड्ढे हो गए हैं। इससे लोगों को हिचकोले खाते सफर करना पड़ रहा है।
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सड़क-एक
फरवरी 2024 में बनी तीन किमी. लंबी सड़क में 52 गड्ढे
इसी साल फरवरी में पीडब्ल्यूडी निर्माणखंड-1 ने हसनगंज तहसील क्षेत्र के दयालपुर से धोपा संपर्क मार्ग का डामरीकरण कराया था। तीन किलोमीटर लंबे इस मार्ग के निर्माण में 72 लाख खर्च किए गए थे। सड़क बने महज आठ माह ही हुए हैं लेकिन कम समय में ही मार्ग गड्ढों में तब्दील होने लगा है। अब तक इस सड़क में 52 गड्ढे हो गए हैं। जगह-जगह बजरी उखड़ गई है। वाहन सवारों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा ठेकेदार ने गांव के अंदर सीसी रोड भी बनवाई लेकिन किनारों पर मिट्टी भरान नहीं हुआ। अवर अभियंता प्रवीण कटियार ने बताया कि सड़क में गड्ढे होने की जानकारी मिली है। ठेकेदार को नोटिस दी जाएगी। दोबारा गड्ढे भरवाए जाएंगे। साथ ही सीसी मार्ग किनारे मिट्टी भरान भी कराया जाएगा।
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सड़क-दो
एक साल में सोनिक से शहजादपुर संपर्क मार्ग में होने लगे गड्ढे
बिछिया ब्लाक क्षेत्र के सोनिक ग्राम पंचायत में रेलवे फाटक से शहजादपुर को गए संपर्क मार्ग की लंबाई करीब एक किलोमीटर है। इसी साल की शुरुआत में इस मार्ग का भी डामरीकरण कराया गया था। ग्रामीणों के मुताबिक, पांच लाख से अधिक बजट था। यहां भी ठेकेदार ने काम में कोरम पूरा किया। परिणामस्वरूप इस मार्ग में भी गड्ढे होने लगे। ग्रामीणों का कहना है कि अगले एक-दो माह में यह सड़क पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो जाएगी। अवर अभियंता प्रफुल्ल श्रीवास्तव का कहना है कि सड़क की पांच साल तक मरम्मत ठेकेदार को ही करानी है। जहां भी सड़क क्षतिग्रस्त हुई है या गड्ढे हुए हैं, वहां ठेकेदार से ही मरम्मत कराई जाएगी।
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क्या कहते हैं लोग
धोपा निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि ठेकेदार ने घटिया सामग्री का प्रयोग किया, जिससे सड़क आठ माह में ही टूट गई। मानक को ताक पर रखकर काम किया गया। विभागीय अधिकारियों ने भी अपनी आंखें बंद रखीं। परिणाम यह हुआ कि कम समय में ही सड़क से डामर गायब हो गया।
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कुलदीप लोधी ने बताया कि 72 लाख की लागत से पीडब्ल्यूडी ने मार्ग बनाया था। जिम्मेदारों के ध्यान न देने से ठेकेदार ने सड़क निर्माण में अनियमितता बरती। इससे आठ माह में ही सड़क की बजरी बाहर आ गई। मामले में ठेकेदारों के साथ निगरानी करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।