Bareilly News: एक माह में पांच हजार यात्रियों ने रद्द कराए टिकट, रेलवे को लौटाने पड़े 30 लाख रुपये

15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच 110 से अधिक ट्रेनें निरस्त रहीं। बरेली से यात्रा के लिए करीब पांच हजार लोगों ने टिकट बुक कराए थे। ट्रेन निरस्त होने से इन यात्रियों ने टिकट कैंसिल किए। इन्हें रेलवे ने रिफंड किया। 

Five thousand passengers cancelled their tickets in a month railways refund

कोहरा, डायवर्जन और ब्लॉक के कारण रेलवे को एक माह में बरेली के पांच हजार यात्रियों ने टिकट रद्द कराए। रेलवे को 30 लाख रुपये लौटाने पड़े। 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच 110 से ज्यादा ट्रेनें निरस्त रहीं, 50 के मार्ग बदलने पड़े और 200 से ज्यादा ट्रेनें लेटलतीफी का शिकार रहीं। आगे भी चार मेगा ब्लॉक प्रस्तावित हैं।

रेलवे यात्रियों को 60 दिन पहले तक टिकट बुक कराने की सुविधा देता है। लंबी दूरी की ट्रेनों में एक-दो महीने पहले ही टिकट बुक हो जाते हैं। जबकि, महीने-दो महीने पहले किसी रेलखंड पर ब्लॉक को लेकर स्थिति साफ नहीं होती। अगर रेलवे किसी ट्रेन को निरस्त करता है तो यात्रियों को पूरा किराया रिफंड किया जाता है। यात्री के टिकट निरस्त कराने पर कटौती की जाती है। 

ट्रेन अगर तीन घंटे से ज्यादा लेट होती है, तब भी रेलवे को रिफंड करना होता है। एक महीने के दौरान ट्रेनें निरस्त होने के कारण रेलवे को पांच हजार से ज्यादा यात्रियों को रिफंड करना पड़ा। तीन हजार से ज्यादा यात्रियों ने ट्रेनों के मार्ग परिवर्तन और लेटलतीफी के कारण टिकट निरस्त कराए। 

टिकट निरस्त कराने पर भी रेलवे को कमाई
अगर रेलवे खुद ही ट्रेन निरस्त करता है तो यात्री के रिफंड में कोई कटौती नहीं की जाती। यात्री के टिकट निरस्त कराने पर रेलवे को कमाई होती है। अगर कोई ट्रेन दो घंटे 50 मिनट तक देरी से है और यात्री टिकट निरस्त कराता है तो रेलवे 50 फीसदी राशि काट लेता है। 

अगर कोई यात्री यात्रा से पूर्व ही अपना कन्फर्म टिकट निरस्त कराता है तो इससे भी रेलवे कटौती करता है। कन्फर्म एसी टिकट पर 180 रुपये प्रति यात्री, स्लीपर पर 120 रुपये प्रति यात्री और द्वितीय श्रेणी टिकट निरस्त कराने पर 60 रुपये प्रति यात्री के हिसाब से कटौती की जाती है। 

घटा रिफंड का आंकड़ा
पूर्व में रेलवे लंबी दूरी की ट्रेनों में 90 दिन पहले तक टिकट बुक कराने की सुविधा देता था। अक्तूबर 2024 में इसे 90 से घटाकर 60 दिन कर दिया गया था। इससे रिफंड के आंकड़ों में कमी आई है।

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