
उन्नाव। घूस लेते पकड़े गए दोनों लिपिकों को संयुक्त शिक्षा निदेशक ने निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि के लिए उन्हें हरदोई डायट से संबद्ध किया है। हालांकि विजिलेंस ने दोनों को लखनऊ जेल भेजा है। घटना के दूसरे दिन डीआईओएस कार्यालय में सन्नाटा रहा। कर्मचारी कुछ भी कहने से बचते रहे।
डीआईओएस कार्यालय और जीजीआईसी के परीक्षा कंट्रोल रूम में विक्रेता लाल सिंह ने 90 सीसीटीवी कैमरे, दो कंप्यूटर और छह डीबीआर लगाए थे। 3.24 लाख रुपये के भुगतान के लिए जीजीआईसी के लिपिक अमित भारती और डीआईओएस के वरिष्ठ लिपिक अमित कुमार ने लाल सिंह से 30 हजार रुपये की घूस मांगी थी। जिम्मेदारों से मिलने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने विजिलेंस की शरण ली थी। सोमवार को दोनों लिपिकों को डीआईओएस कार्यालय के बाहर से विजिलेंस टीम ने पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद डीआईओएस ने संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय रिपोर्ट भेजी थी। डीआईओएस एसपी सिंह ने बताया कि संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार ने दोनों लिपिकों को निलंबित कर दिया है। विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं।
रिषभ को दिया गया बोर्ड परीक्षा का चार्ज
बोर्ड परीक्षा देख रहे डीआईओएस कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक अमित कुमार पर कार्रवाई के बाद डीआईओएस ने मौखिक रूप से साल 2024 में बोर्ड परीक्षा देखने वाले लिपिक रिषभ को दोबारा चार्ज दिया है। डीआईओएस एसपी सिंह ने बताया कि अभी मौखिक रूप से चार्ज दिया गया है। लिखित रूप से चार्ज के लिए डीएम कार्यालय फाइल भेजी गई है। वहां से आदेश आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वेतन, एरियर, छुट्टी मांगने के नाम पर होता बड़ा खेल
शिकायत पर अधिकारी सिरे से नकारते, पकड़े जाने पर करते लीपापोती
उन्नाव। सरकारी कार्यालयों में कहने को तो निशुल्क सेवाएं हैं लेकिन हकीकत इससे अलग है। शिक्षक लगातार उगाही की बात करते हैं, लेकिन जिम्मेदार उस समय ऐसा कुछ न होने की बात कहकर शांत हो जाते हैं।
विजिलेंस और एंटी करप्शन के लगातार पड़ रहे छापों और सरकारी कर्मचारियों के पकडे़ जाने के बाद से यह साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं तो खेल चल रहा है। कहावत है कि एक मछली तालाब को गंदा कर देती है वैसे ही सरकारी विभागों में भी कुछ ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं जो लगातार विभाग और सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं। शिक्षा विभाग में दो लिपिकों के पकड़े जाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी डीआईओएस और बीएसए कार्यालय से घूस लेते लिपिकों को उठाया गया था, हालांकि अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। (संवाद)