
उन्नाव। कानपुर-लखनऊ हाईवे पर जगह-जगह अवरोध, खराब सड़क और डायवर्जन मुसीबत बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदारों ने जनता को उनके ही हाल पर छोड़ दिया। कानपुर से लखनऊ के बीच उन्नाव जिले में जिस 62 किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को तीन से चार घंटे लगते हैं, अफसर और मंत्री, सवा घंटे में ही पहुंचा दिए जाते हैं।
मंगलवार को डीजीपी को कानपुर जाना था। जगह-जगह पुलिस तैनात रही। डीजीपी की गाड़ी दोपहर 2:15 बजे जिले की सीमा (बनी सई नदी पुल) पर पहुंची और एक घंटा दस मिनट में 3:25 बजे गंगा बैराज के रास्ते कानपुर जिले की सीमा में प्रवेश कर गई।
कुछ इसी तरह सुविधाजनक सफर मंगलवार को शहर में सरकार के आठ साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के आईं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष के लिए भी रहा था। वह सुबह 10:35 बजे जिले की सीमा पर पहुंचीं और 11:40 बजे शहर के निराला प्रेक्षागृह पहुंच गईं।
बुधवार को जिले के दौरे पर आए जिला प्रभारी मंत्री का काफिला भी सुबह 11:05 बजे बनी पुल से जिले की सीमा में प्रवेश किया और एक घंटे में 12:05 बजे वह शहर पहुंच गए। एनएचएआई हो या थाना और यातायात पुलिस केवल वीआईपी की फिक्र करते हैं। उन्हें बिना बाधा गंतव्य तक तक पहुंचाने में गाड़ियों को हटवाने से लेकर सारे अवरोध खत्म।
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मुश्किल-एक
पांच महीने में बनाई 59 किमी सड़क, 23 किमी बनाने में जाएगा अप्रैल, जुलाई में पड़ेगी दूसरी लेयर
कई साल से खस्ताहाल लखनऊ-कानपुर हाईवे की सड़क को बनाने, डिवाइडर पर लोहे की ग्रिल लगाकर अवैध कट खत्म करने के साथ ही ब्लैक स्पॉट खत्म करने का काम चल रहा है। एनएचएआई ने जीएस एक्सप्रेस नाम की निर्माण एजेंसी को 92 करोड़ का ठेका दिया है। इसी एजेंसी पर अगले पांच साल तक हाईवे के रखरखाव की भी जिम्मेदारी रहेगी। अक्तूबर 2024 से सड़क की ऊपरी परत उखाड़ कर नई परत (ओवर-ले) बिछाई जा रही है। सुस्त चाल में काम होने का नतीजा है कि पांच महीने बाद भी अभी एक लेन की 23 किलोमीटर सड़क का काम बाकी है। सोहरामऊ से सोनिक मोड़ तक का काम जारी है। बुधवार को लखनऊ सीमा स्थित बने पुल से सोहरामऊ की तरफ तीन किलोमीटर में एक लेन (लखनऊ से कानपुर) को बंद करके सड़क बनाई जा रही है। इस दायरे में दोनों तरफ के वाहन एक ही लेन से निकालने के कारण, सात किलोमीटर तक यातायात सात घंटे (सुबह दस से शाम पांच बजे तक) रेंगता रहा।
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मुश्किल-दो
हाईवे पर जाम और टोल टैक्स बचाने के लिए लखनऊ की ओर जाने वाले गिट्टी, मौरंग, बालू व अन्य माल लदे वाहन करीब तीन महीने से नवाबगंज-जैतीपुर मार्ग के रास्ते अजगैन-मोहान मार्ग होते हुए लखनऊ-बांगरमऊ मार्ग से जा रहे हैं। इससे हाईवे पर नवाबगंज कस्बे के पास स्थित जैतीपुर मोड़ पर हर 10 से 15 मिनट में यातायात बाधित होता है। मंगलवार रात दस से दो बजे तक यहां करीब तीन किलोमीटर के दायरे में यातायात रेंगता रहा। बुधवार सुबह पांच से नौ बजे तक लंबा जाम लगा।
हालांकि, दस बजे से भारी वाहनों का आवागमन कम होने से कुछ राहत मिली, लेकिन बीच-बीच में कतार में भारी वाहन निकलने से हाईवे का यातायात बाधित होता रहा। वाहन चालकों का कहना है कि हाईवे की खस्ताहाल यातायात व्यवस्था होने के बाद भी टोल टैक्स पूरा देना पड़ता है। लखनऊ में कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे का काम चलने से बनी पुल पार करते ही भीषण जाम का सामना करना पड़ता है। इस वजह से इस रूट से निकलने की मजबूरी है।
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मुश्किल-तीन
मेरठ से प्रयागराज के बीच बन रहा गंगा एक्सप्रेसवे उन्नाव में सोनिक के पास लखनऊ-कानपुर हाईवे को क्रॉस कर रहा है। सोनिक मोड़ के पास अंडरपास बनाया जा रहा है। 200 मीटर दायरे में डायवर्जन लागू करके दोनों तरफ यातायात एक लेन से निकाला जा रहा है। इससे 24 घंटे तीन से छह किलोमीटर में यातायात रेंगता रहता है। निर्माण एजेंसी की सुस्ती का आलम यह है कि अक्तूबर 2024 में शुरू हुआ काम अभी आधा भी नहीं हो सका। दोनों लेन पर कुल 32 गर्डर रखे गए हैं। इन गर्डर के ज्वाइंट को वेल्डिंग करके कंक्रीट भरने के बाद स्लैब डालने का काम शुरू हुआ, लेकिन दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था, लेकिन अभी (लखनऊ से कानपुर लेन) पर केवल आठ गर्डर पर स्लैब पड़ पाई है। तीन दिन पहले इसी लेन के बाकी बचे आठ गर्डर में शटरिंग लगाने का काम शुरू किया गया है।
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मुश्किल-चार
कानपुर-लखनऊ के बीच बन रहे एलिवेटेड एक्सप्रेसवे (एनई-6) कानपुर-लखनऊ हाईवे (एनएच 27) को जाजमऊ गंगा नदी पुल से पहले क्रॉस कर रहा है। हाईवे के ऊपर एक्सप्रेसवे का अंडरपास बनाया जा रहा है। नवंबर 2024 से काम चल रहा है, लेकिन तीन महीने में एक लेन का ही काम पूरा हो पाया है। अब एक तरफ की शटरिंग को खोलने और दूसरी तरफ लगाने का काम चल रहा है। आजाद मार्ग चौराहे पर जाम से निपटने के लिए कंक्रीट बोल्डर लगाकर अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इससे वाहन चालकों को करीब दो किलोमीटर का चक्कर लगाकर बदरका-लालगंज हाईवे रोड और शुक्लागंज से मरहला चौराहा की तरफ जाने वाले वाहन चालक लंबी दूरी से बचने के लिए अवैध कट से निकलते हैं इससे हाईवे का यातायात प्रभावित रहता है। एक महीने पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पद्मश्री ह्रदयनारायण दीक्षित ने आजाद मार्ग चौराहा खोलने की मांग की थी, लेकिन अभी तक बोल्डर नहीं हटाए जा सके।
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दुश्वारियों के बीच टोल टैक्स बढ़ाने की तैयारी
हाईवे पर दुश्वारियों भरे सफर के बीच एनएचएआई 31 मार्च की रात 12 बजे से एक बार फिर टोल टैक्स बढ़ाने की तैयारी में है। हालांकि, अभी टोल टैक्स की नई दरें नहीं आई हैं, लेकिन टोल एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि अगले एक-दो दिनों में टोल टैक्स की नई दरें आ जाएंगी। नवाबगंज टोल प्लाज मैनेजर एके चौहान ने बताया कि उम्मीद है कि इस बार ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं होगी।
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लखनऊ के जुनाबगंज में एक्सप्रेसवे के पिलर और स्लैब का काम लगभग पूरा हो गया है। जो छुटपुट बचा है उसे मार्च में ही पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। आजाद मार्ग के पास बन रहे अंडरपास का काम तीस अप्रैल तक पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद यातायात सामान्य हो जाएगा।
जहां तक हाईवे पर जाम आदि की समस्या है तो टोल और निर्माण एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वह क्षतिग्रस्त वाहनों को तत्काल हटवाएं। सड़क बना रही एजेंसी को यातायात संचालन व्यवस्था में पर्याप्त कर्मचारी लगाने के निर्देश हैं ऐसा नहीं है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। -सौरभ चौरसिया, पीडी, एनएचएआई
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कानपुर से लखनऊ जाने वाली सड़क की दोनों लेन बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है। बनी के सई नदी पुल से सोनिक मोड़ तक लखनऊ से कानपुर वाली लेन पर काम बचा था, उसे पूरा कराया जा रहा है। 23 किलोमीटर सड़क का काम 30 अप्रैल तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद दोनों जाजमऊ से सई नदी पुल तक पूरी 82 किलोमीटर में दोनों लेन पर दूसरी परत (ओवर-ले) का काम होगा जो दो महीने में पूरा हो जाएगा। यातायात बाधित न हो इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे। -अभय कुमार, इंजीनियर एनएचएआई
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टोल कंपनियों की जिम्मेदारी
-हाईवे पर किसी भी वाहन के खराब होने पर उसे तुरंत सड़क से हटाना।
-कोई भी हादसा होने पर तत्काल एंबुलेंस और क्रेन को मौके पर भेजना।
-घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पताल पहुंचाना और वाहनों को हटाना।
-हाईवे और एक्सप्रेसवे की पेट्रोलिंग करके वाहनों को खड़े होने से रोकना।
-एंबुलेंस में प्रशिक्षित मेडिकल टीम हो, ताकि घायलों को तात्कालिक उपचार दिया जा सके।
-टोल वसूली करने वाली एजेंसी पर सड़क की मरम्मत, रोशनी आदि की भी जिम्मेदारी हो।
-टोल प्लाजा पर पेयजल, जरूरतमंदों के लिए मेडिकल किट और वाहन के लिए हवा की व्यवस्था हो।