Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का अमृतमय प्रवचन जीवन बदल देता है, इसलिए हर भक्त को प्रेमानंद जी महाराज को सुनना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज का संदेश केवल ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन को पवित्र दिशा देने वाला व्यावहारिक मार्ग भी है।

प्रेमानंद जी महाराज
Premanand Maharaj Pravachan: पूज्य प्रेमानंद जी महाराज आज के समय के उन विरक्त संतों में से हैं, जिनकी वाणी में सरलता और गहराई है। उनके प्रवचनों में शास्त्रों की मर्यादा, भक्ति की मधुरता और जीवन को बदल देने वाली आध्यात्मिक प्रेरणा सहज रूप से मिलती है। महाराज अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं। अक्सर, प्रेमानंद जी महाराज से सत्संग के दौरान अपने भक्तों को धार्मिक कहानियां भी सुनाते हैं। जिसमें जीवन की सच्चाई से जुड़ा कोई न कोई अर्थ छुपा होता है।

प्रेमानंद जी महाराज
नारायण भगवान और लक्ष्मी जी की कहानी के जरिए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा- अगर माया अपना प्रभान दिखा दे तो भगवान को हम कुछ नहीं मानेंगे। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, माया ने इंसान को जकड़ा हुआ है। माया संसार की वह भ्रामक शक्ति जो व्यक्ति को भगवान से दूर रखती है और उसे सांसारिक आकर्षणों में उलझाए रखती है। उन्होंने समझाया कि यह मोह है जो हमें सांसारिक सुख-दुख में फंसाता है, जबकि सच्चा सुख तो केवल भगवान की भक्ति से ही मिलता है।

प्रेमानंद जी महाराज – फोटो : Premanand Ji Maharaj Instagram
माया की पहचान: यह भौतिक सुखों, धन-दौलत और संबंधों के प्रति अत्यधिक आकर्षण है।
माया का प्रभाव: यह हमें संसार से बांधे रखती है और हमें सच्चाई से दूर करती है।
माया से मुक्ति: प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, माया से मुक्ति पाने का एकमात्र मार्ग भगवान की भक्ति और प्रेम है।

प्रेमानंद जी महाराज – फोटो : Premanand Ji Maharaj Instagram
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, मनुष्य का जीवन संघर्षों और उतार चढ़ाव से भरा हुआ है। कभी परिस्थितियां इतनी कठिन हो जाती हैं कि इंसान टूटने लगता है, उसे लगता है कि अब कोई रास्ता नहीं नहीं बचा। चारों ओर अंधेरा-सा दिखाई देता है, कोई सहारा नज़र नहीं आता। ऐसे समय में जीवन में सुखी रहना है तो इसकी जिम्मेदारी किसी और पर नहीं, बल्कि खुद पर लेनी होगी। यही आत्मबल, यही आत्मनिर्भरता, वास्तव में सुख और शांति का मूल सूत्र है।

प्रेमानंद महाराज – फोटो : Premanand Maharaj Instagram
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, नारायण के बिना लक्ष्मी का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि वे परम सत्ता के अंश हैं। लक्ष्मीजी का वास हमेशा नारायण के पास ही होता है। एक भक्त की तरह, हमें दोनों का सम्मान करना चाहिए।
लक्ष्मी और नारायण का संबंध: महाराज के अनुसार, लक्ष्मी और नारायण अविभाज्य हैं। लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं और नारायण परम पुरुष हैं।
एक-दूसरे के पूरक: महाराज ने इस कहानी के माध्यम से समझाया है कि नारायण और लक्ष्मीजी एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरे का कोई महत्व नहीं है। नारायण के बिना भी संसार चल सकता है, पर लक्ष्मीजी के बिना लोग नारायण का नाम भी नहीं लेते।
समृद्धि और भक्ति: महाराज के अनुसार, जब हम नारायण की भक्ति करते हैं, तो लक्ष्मीजी स्वतः ही प्रसन्न होती हैं और हमारे जीवन में समृद्धि आती है। हमें लालच देकर भगवान से कुछ मांगना नहीं चाहिए, बल्कि उनसे अपनापन और हक से मांगना चाहिए।