अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान : सीडीएस चौहान ने कहा- यह भारत का समय है, युवाओं की क्षमता से जीतेगा देश

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से बुधवार को स्व. अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान समारोह में आए मेधावी विद्यार्थियों से सीडीएस  चौहान ने यह बात कही। इन मेधावी बच्चों का उन्होंने अपने आवास पर स्वागत किया। कहा, इन होनहारों से मिलने का मौका मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा, जब दुनिया में औद्योगिक क्रांति हुई, हम इसका लाभ नहीं ले सके। अब हम स्वाधीन हैं। इस समय का सदुपयोग कर देश को महाशक्ति बनाया जा सकता  है। 

CDS Chauhan said- This is India's time, the country will win with the potential of youth

देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का अपना  वक्त आता है, जब वह तरक्की करता है। अभी अमृतकाल चल रहा है। यह भारत का समय है। युवाओं का समय है। युवाओं की क्षमताओं से ही देश जीतेगा।

इन मेधावी बच्चों का उन्होंने अपने आवास पर स्वागत किया। कहा, इन होनहारों से मिलने का मौका मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा, जब दुनिया में औद्योगिक क्रांति हुई, हम इसका लाभ नहीं ले सके। अब हम स्वाधीन हैं। इस समय का सदुपयोग कर देश को महाशक्ति बनाया जा सकता है। 

सीडीएस चौहान ने कहा, विकास के लिए दो चीजें अहम हैं, युवा शक्ति और नारी शक्ति। देश में अभी 28.7 फीसदी युवा हैं। युवा शक्ति देश की उत्पादकता बढ़ा सकती है। इसमें नारी शक्ति के रूप में आधी आबादी का सहयोग भी जरूरी है। भारतीय सेना का दोनों के साथ लगाव है। सेना में महिलाएं लड़ाकू विमान तक उड़ा रही हैं। पनडुब्बियों में तैनाती हो रही है। जो सेना कर रही है, उसे देश को भी स्वीकार करना होगा।

सीडीएस ने कहा, कल्पनाशीलता व इच्छाशक्ति भी परोक्ष रूप से देश को विकसित बनाने में मदद करेगी। बौद्धिक क्षमता की पहचान मौलिक कल्पनाशीलता से ही होती है, जो भारतीयों के डीएनए में है। अस्तित्वहीन शून्य की कल्पना हमारे ही गणितज्ञ आर्यभट्ट ने की, जिससे गणनाएं हो सकीं। जिस ज्ञान की हम आज चर्चा करते हैं, वह हमारे पुराणों में पहले से दर्ज है। 

सपने वही जो सोने न दें
सीडीएस चौहान ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को याद किया। कहा, उन्होंने बेहद अहम बात कही थी। सपने वह नहीं जो सोने पर आएं। सपने ऐसे हों, जोकि सोने ही नहीं दें। उन्होंने कहा, यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद आठ पीढ़ी का समय विकसित होने में लगा।  संभव है कि भारत को विकसित होने में दो या तीन पीढ़ी का ही समय लगे। हमें जो कल करना है, आज ही करना होगा। सबको एकजुट होकर मेहनत करनी होगी।

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