Unnao News: हाईवे पर दही चौकी, नवाबगंज और आशाखेड़ा में भी बनेंगे पुल

Bridges will also be built on the highway at Dahi Chowki, Nawabganj and Ashakheda.

उन्नाव। लखनऊ-कानपुर हाईवे पर जाम और हादसे रोकने के लिए एनएचएआई तीन ब्लैक स्पॉट पर पुल बनाएगा। इंजीनियरों को सर्वे कर डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलों के निर्माण पर करीब 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। अधिकारियों का दावा है कि तीनों पुल बनने के बाद इस हाईवे पर यातायात सुगम और सुरक्षित होगा।

जाजमऊ से लखनऊ सीमा तक 85 किलोमीटर लंबे लखनऊ-कानपुर हाईवे पर हादसों वाले चार स्थान चिह्नित किए गए थे। इनमें गदनखेड़ा चौराहा, दही चौकी तिराहा, नवाबगंज और आशाखेड़ा तिराहा शामिल हैं। एनएचएआई ने लखनऊ-कानपुर हाईवे को उन्नाव-रायबरेली हाईवे से जोड़ने वाले गदनखेड़ा चौराहे पर पुल बना दिया है। अब बाकी बचे तीन स्थानों पर दुर्घटना और जाम को देखते हुए पुल बनाने की तैयारी शुरू की है।

एनएचएआई के अधिकारियों का मानना है कि लखनऊ-कानपुर के बीच निर्माणाधीन एलिवेटेड एक्सप्रेसवे (एनई-6) मई 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। हालांकि इस एक्सप्रेसवे के बाद भी लखनऊ-कानपुर हाईवे (एनएच-27) पर यातायात का भार खास कम नहीं होगा। उपयोगिता बनी रहने के कारण एनएचएआई ने दही चौकी तिराहा (पुरवा मोड़), नवाबगंज कस्बा में सीएचसी के पास तिराहे पर और सोहरामऊ क्षेत्र के आशाखेड़ा में पुल बनाने के लिए मंजूरी दी है। इसके लिए इंजीनियरों की टीम को सर्वे करके जल्द रिपोर्ट और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) देने के निर्देश दिए हैं।

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यातायात कम न होने की प्रमुख वजह
एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, एलिवेटेड एक्सप्रेसवे पर अन्य लिंक मार्गों से जाने के लिए कट न होने से ज्यादातर भारी वाहन कानपुर-लखनऊ हाईवे से निकलते रहेंगे। एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स भी ज्यादा होगा, इससे ज्यादातर वाहन चालक इसी हाईवे से आवागमन करेंगे। कानपुर और लखनऊ की तरफ से आने वाले वाहन उन्नाव, पुरवा, बीघापुर, बांगरमऊ, हसनगंंज, कन्नौज, हरदोई, रायबरेली, फतेहपुर, संडीला आदि लिंक मार्गों से जिले के औद्योगिक क्षेत्र और विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचते हैं। इसलिए इस हाईवे की उपयोगिता और यातायात में कमी नहीं आएगी।
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क्या कहते हैं अधिकारी
इंजीनियरों को सर्वे करने और पुलों की डीपीआर तैयार करने के लिए कहा गया है। डीपीआर बनने के बाद उसे मुख्यालय भेजा जाएगा। प्रयास है कि दो महीने में प्रक्रिया पूरी करके पुलों को बनाने की शुरुआत कर दी जाए।
– सौरभ चौरसिया, पीडी, एनएचएआई

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