
कानपुर देहात। गांवों में गंदगी न रहे और ग्रामीणों को स्वच्छ परिवेश मिले। इस मंशा से स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले की 618 पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र (आरआरसी) बनाए जा रहे हैं। अब तक 10 ब्लॉक में 300 आरआरसी बनकर तैयार हो चुके हैं। एक आरआरसी के निर्माण में लगभग तीन से पांच लाख रुपये लागत आई है। इस तरह करोड़ों रुपये खर्च हो जाने के बाद भी यह शोपीस बने हुए हैं।
गांव में न घर-घर कूड़े को एकत्र कराया जा रहा है और न गीले-सूखे कूड़े की छटनी हो रही है। सरकार की मंशा थी कि अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनने के बाद गांव में गंदगी न फैले। इसलिए गांव से निकलने वाले कचरे को इन केंद्रों पर लाकर गीला व सूखा कचरा अलग किया जाना था। इसके साथ ही जैविक खाद बनाई जानी थी। वहीं अजैविक प्लास्टिक कचरे को पीएमयू यूनिट में भेजकर निस्तारण के बाद ब्रिकी के लिए तैयार किया जाना था। इससे ग्राम पंचायतों की आय में बढोतरी होती। मगर कुछ जगह को छोड़ कर अधिकांश जगहाें पर इनका संचालन बजट के कारण अटका है। यहां पर कई जगह मशीनें नहीं हैं तो कई जगह घरों से कूड़ा लाने के लिए ई-रिक्शे भी नहीं है।
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कहीं उगी घास तो कहीं लटक रहे ताले
राजपुर ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में लाखों के बजट से आरआरसी सेंटर बनाए गए है। इन्हें तैयार हुए एक साल हो चुका है। मगर इनका संचालन शुरू नहीं हो पाया। इससे ठोस व गीले कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी से आरआरसी सेंटर शोपीस बने हुए हैं। इनके संचालन के लिए ई-रिक्शे भी लिए जाने थे। मगर कई पंचायतों में जिम्मेदार बजट का अभाव बता रहे हैं, तो कई जगह पंचायत के प्रतिनिधि इनके संचालन में रुचि नहीं ले रहे हैं।
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सीन-1
राजपुर ब्लॉक के जमुवा में गांव के बाहर चकरोड पर दो वर्ष पहले आरआरसी सेंटर बनाया गया था। जब इसका निर्माण शुरू हुआ तो लोगों को गांव साफ सुथरा रहने की आस जगी थी। मगर सेंटर का संचालन नहीं होने से परिसर में बड़ी-बड़ी घास उग आई है।
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सीन-2 गुरदही बुजुर्ग में पंचायत सचिवालय के पीछे आरआरसी सेंटर बनवाया गया है। निर्माण पूरा होने के बाद इसे रंग रोगन कर तैयार कर दिया गया है। यहां गांव को स्वच्छ रखने के संदेश भी लिखे हुए हैं। मगर गांव के लोग इसे पढ़ कर अपने को छला समझते हैं, क्योंकि यह बंद पड़ा है और अभी तक संचालन शुरू नहीं हो सका है। परिसर में गंदगी जमा हो गई है।
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सीन-3 खासबरा में खेतों किनारे पंचायत ने आरआरसी सेंटर बना दिया है। इसे भी रंग रोगन कर तैयार किया गया है। वर्तमान में चारों तरफ गंदगी है। जब से केंद्र बनकर तैयार हुआ है, यहां पर ताला लटक रहा है। इसके संचालन को लेकर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
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कई जगह भूमि विवाद में अटका निर्माण
जिले की सभी ग्राम पंचायतों में आरआरसी बनाए जाने हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में 27 व 2023-24 में 260 आैर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 13 आरआरसी बनकर पूरे हो चुके हैं। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भूमि विवाद के चलते 29 जगह पर काम अटका है। वहीं वर्ष 2024-25 में 15 जगह काम रुका हुआ है।
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वर्जन…..
कई ग्राम पंचायतों में आरआरसी का संचालन विधिवत कराया जा रहा है। जिन ग्राम पंचायतों में आरआरसी बनकर तैयार हैं, उनको भी जल्द संचालित कराया जाएगा। कुछ जगह बजट की समस्या रही है। प्रधान व पंचायत सचिवों के साथ लगातार बैठकें कर संचालन पर जोर दिया जा रहा है। – विकास पटेल, जिला पंचायत राज अधिकारी