टैबलेट और मोबाइल खराब हो रहे हैं इसकी जानकारी भी प्रशासन को तब हुई जब दो दिन पहले भी कमरे की सील खोलकर कुछ मोबाइल और टैबलेट निकाले गए। तब कुछ लोगों की नजर गई तो पाया कि कमरा बंद रहने के कारण नमी हो रही है। दीवारों पर दीमक लगना भी शुरू हो गई है

कारण जो भी हों, मगर प्रशासन की लापरवाही या लेटलतीफी के चलते करीब दस करोड़ से अधिक कीमत के मोबाइल (स्मार्टफोन)-टैबलेट वितरण के इंतजार में रखे-रखे बेकार हो गए हैं। इन्हें अब जिला प्रशासन भी बांटने के बजाय शासन को वापस करने जा रहा है। जिसके लिए शासन से पत्राचार भी किया गया है। हालात ये हैं कि डीएस कॉलेज के प्यारेलाल भवन के एक कमरे में करीब दस हजार मोबाइल-टैबलेट आठ माह से अधिक समय से रखे हैं। जो नमी का शिकार हो गए हैं। साथ में इन इलेक्ट्रानिक उत्पादों की बैटरी भी बेकार होने के कगार पर हैं।
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामी विवेकानंद युवा तकनीकी सशक्तिकरण योजना के तहत तकनीकी क्षेत्र के ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को मोबाइल (स्मार्टफोन)-टैबलेट वितरित किए जाते हैं। इस योजना के अंतर्गत अलीगढ़ को भी लखनऊ से अगस्त माह में मोबाइल (स्मार्टफोन)-टैबलेट भेजे गए थे। इन सभी को डीएस डिग्री कॉलेज के प्यारेलाल भवन के एक कक्ष में रखवा दिया गया था। यह उसी दिन से प्रशासन की निगरानी में हैं। इनकी संख्या दस हजार के करीब है। जानकारों का कहना है कि मोबाइल या टैबलेट दोनों की ही कीमत करीब दस दस हजार है। इस हिसाब से यह दस करोड़ का सामान है।
कमाल की बात देखिए कि आठ माह का वक्त बीत जाने के बाद भी प्रशासनिक अमला पात्र छात्रों का सत्यापन नहीं कर सका है। कालेजों ने तो पात्र छात्रों की सूची प्रशासन को दी लेकिन प्रशासन उनका सत्यापन ही नहीं कर सका। अफसरों का कहना है कि सत्यापन में कई ऐसे बिंदु हैं जिससे प्रक्रिया बेहद जटिल हो गई है। टैबलेट और मोबाइल खराब हो रहे हैं इसकी जानकारी भी प्रशासन को तब हुई जब दो दिन पहले भी कमरे की सील खोलकर कुछ मोबाइल और टैबलेट निकाले गए। तब कुछ लोगों की नजर गई तो पाया कि कमरा बंद रहने के कारण नमी हो रही है। दीवारों पर दीमक लगना भी शुरू हो गई है। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि इनमें से एक बड़ी संख्या में मोबाइल और टैबलेट खराब हो गए होंगे।
ये सही है कि छात्रों में वितरण के लिए आए मोबाइल और टैबलेट डीएस कॉलेज में काफी समय से रखे हैं। सत्यापन व्यवस्था लागू होने के कारण इनके वितरण में देरी हुई है। हालांकि इनकी समय समय पर निगरानी की व्यवस्था है। कमरा खुलवाकर दिखवाया जाता है। कहीं कोई परेशानी तो नहीं। दूसरा अब इन्हें शासन को वापस करने के लिए भी पत्राचार किया गया है। इसके पीछे वजह ये भी है कि अब इनका वितरण नहीं होगा। नए स्मार्ट फोन आएंगे।-मीनू राणा, एडीएम वित्त, नोडल अफसर
ये तथ्य भी जानें
- दस हजार करीब मोबाइल-टैबलेट रखे हुए एक हैं कमरे में
- पहले बिना सत्यापन कॉलेज की सूची से होता था वितरण
- अब कॉलेज की सूची पर पात्रों के होता सत्यापन, तब वितरण
ये भी खास बातें
- स्वामी विवेकानंद युवा तकनीकी शसक्तिकरण योजना के ये उत्पाद
- ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को देने की प्रदेश सरकार की योजना
ये कहते हैं तकनीकी जानकार
तकनीकी के जानकार कहते हैं इस तरह के उत्पाद कहीं भी बिना नमी के स्थान पर एक वर्ष तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं। एक वर्ष में उनकी बैटरी फूलने लगती हैं। नमी अगर उत्पाद तक पहुंच जाए तो खराबी का अंदेशा रहता है।
कॉलेज ने किया कमरा खाली करने का अनुरोध
इधर, डीएस डिग्री कॉलेज के प्रधानाचार्या डा.मुकेश भारद्वाज ने जिला प्रशासन को पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि लंबे समय से उनके यहां मोबाइल और टैबलेट रखे हैं। अब हमें कुछ निर्माण कराने के लिए कमरे की जरूरत है। इसलिए इस कक्ष को खाली कराने का अनुरोध प्रशासन से किया गया है।