UP: गणेश चतुर्थी पर 500 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, भक्तों की हर मुराद करेंगे बप्पा; स्थापना का शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi Puja muhurat : गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आज 27 अगस्त 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह उत्सव हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहारों में गिना जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर इस बार 500 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। 

Ganesh Chaturthi 2025 Muhurt puja vidhi  sthapana shubh muhurat timing

गणेश चतुर्थी पर बुधवार को 500 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि, रवि, प्रीति, इंद्र एवं ब्रह्म योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य शिवशरण पाराशर ने बताया कि मंगलवार दोपहर 1:54 बजे से बुधवार को दिन में 3:44 बजे तक चतुर्थी तिथि है। बुधवार को बन रहे दुर्लभ योग में गजानन महाराज विराजेंगे।

उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि योग को कार्य सिद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। रवि योग में सूर्य देव की कृपा बरसती है, जिससे आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। प्रीति योग संबंधों में मधुरता और सौभाग्य प्रदान करता है। इंद्र योग को शक्ति, ऐश्वर्य और सफलता का योग माना जाता है, जबकि ब्रह्म योग ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा है।

लर्भ योग में बुद्धि और समृद्धि के दाता गणेश की प्रतिमा स्थापित कर दूर्वा, अक्षत और जल से पूजा करने पर सभी संकट और बाधाएं दूर होंगी। बटेश्वर मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि गौरीशंकर मंदिर में रोजाना पूजा होगी। बटेश्वर समेत बाह जैतपुर क्षेत्र के मंदिरों के अलावा पंडालों में गणेश प्रतिमा स्थापित कर उत्सव मनाया जाएगा। गांव देहात के मंदिरों में गणेश उत्सव की मंगलवार को दिनभर तैयारियां चलीं। प्रतिमाएं भी खूब बिकीं। 

गणेश स्थापना मुहूर्त (Ganesh Sthapna Muhurat)
गणेश स्थापना का उत्तम मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा। इस अवधि को बेहद मंगलकारी और फलदायक माना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर राहुकाल का भी रखें ध्यान (Ganesh Chaturthi Rahukaal Time)
27 अगस्त 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से राहुकाल शुरू हो रहा है, इसलिए गणेश जी की मूर्ति स्थापना इससे पहले कर लेना शुभ माना जाता है। राहुकाल के समय कोई भी मंगल कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ काल माना गया है।

घर-घर विराजेंगे बप्पा, तैयारियां पूरी
 गणेश महोत्सव के रंग में शहर रंगने को तैयार है। महोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बुधवार को गणपति बप्पा को श्रद्धालु अपने घर लेकर जाएंगे। शहर में सैकड़ों की संख्या में पंडाल सजाए गए हैं। मंगलवार देर रात तक बाजारों में गणेश मूर्तियों की खरीदारी चलती रही। गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया के जयकारों के साथ बुधवार को शहर के सैकड़ों गणेश पंडाल गुंजायमान होंगे। चारों तरफ गणेश उत्सव की धूम रहेगी, शहर के कई इलाकों में विशाल गणेश मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। शहर के कई अपार्टमेंट, कॉलोनी और मोहल्लों में गणपति पंडाल को सजाने का काम देर रात तक चलता रहा। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालु गणपति को 5, 7, 9 और 11 दिन के लिए घर में स्थापित करते हैं और इसके बाद विसर्जन कर देते हैं। शहर में करीब 1600 छोटे-बड़े पंडाल तैयार किए गए हैं।

पौधों के बीजों से तैयार की प्रतिमा, आज होगी स्थापना
सदर के नौलक्खा में गणेश प्रतिमा पर्यावरण का संदेश भी देगी। यह प्रतिमा मिट्टी, भूसे और पौधे के बीज से तैयार की गई है। इसके विसर्जन के बाद मौजूद बीज पौधे बनेंगे। करीब 24 फीट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। श्री मंगल मूर्ति सेवा समिति के सदस्य दिग्विजय नाथ तिवारी ने बताया कि नंद सिनेमा से बुधवार सुबह शोभायात्रा निकाली जाएगी। जो तांग स्टैंड नौलक्खा तक जाएगी। वहां पर पंडाल में प्रतिभा स्थापित की जाएगी। प्रतिमा को तैयार करते समय 500 प्रकार के पौधों के बीजों का प्रयोग किया गया है। प्रतिमा विजर्सन के बाद उस स्थान पर यह बीज कुछ दिन में पौधे बनकर उभरेंगे। उन्होंने बताया कि गणेश महोत्सव 6 सितंबर तक चलेगा। प्रतिदिन आरती सुबह और शाम 8 बजे की जाएगी।

पांच घाटों पर तैयार कुंड में ही होगा गणेश विसर्जन
 गणेश चतुर्थी पर यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रतिमाओं और पूजन सामग्री का विसर्जन करने के लिए नगर निगम ने शहर के पांच घाटों पर कुंड व कलश तैयार किए हैं। बल्केश्वर घाट, कैलाश घाट, हाथी घाट, सरस्वती घाट और सीताराम घाट पर तैयार इन कुंडों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम ने बताया कि नगर निगम की ओर से घाटों की साफ-सफाई कराई जा रही है। लगभग 6×4 फीट के विसर्जन कुंड तैयार कर उनमें यमुना का जल भरा जाएगा, ताकि श्रद्धालु आसानी से गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कर सकें। वहीं, हवन सामग्री के लिए अलग से अर्पण कलश रखवाए जाएंगे। नगर निगम की टीमें विसर्जन के दौरान घाटों पर तैनात रहेंगी और श्रद्धालुओं को यमुना में सीधे प्रतिमा या सामग्री डालने से रोकते हुए कुंडों में विसर्जन के लिए प्रेरित करेंगी।

इसके साथ ही घाटों पर बैनर और होर्डिंग लगाए जाएंगे, जिनके माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण और यमुना को प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश दिया जाएगा ताकि धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों के बीच संतुलन कायम रहे।

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