
फोटो-7- पैथोलॉजी का निरीक्षण करते एसीएमओ डॉ. नरेंद्र सिंह। आर्काइव
उन्नाव। सीएमओ कार्यालय में 63 पैथोलॉजी का पंजीकरण है जबकि बिना पंजीकरण और मानकों की अनदेखी कर करीब 250 पैथोलॉजी संचालित हो रही हैं। इनमें से 30 से अधिक निजी पैथोलॉजी तो जिला अस्पताल के सामने एक किलोमीटर के दायरे में ही संचालित की जा रही हैं। कभी कभार स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच कर इनको सील कर देती है और तीन दिन में कागज दिखाने की मोहलत देती है। बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है। इस कारण इन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
जिले में गली-मोहल्लों में निजी पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहर में भी कुछ बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रही हैं। इन पैथोलॉजी में अधिकांश जगह संचालन के मानक पूरे नहीं हैं। संचालन के लिए एमडी, पैथोलॉजिस्ट का मौजूद होना जरूरी होता है, लेकिन अधिकांश जगह डॉक्टर ही नहीं रहते हैं। उनकी अनुपस्थिति में लैब टेक्नीशियन ही रिपोर्ट बनाते हैं। ऐसे में कुछ जांच रिपोर्टों में गड़बड़ी की संभावना रहती है।
डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालन के लिए रेडियोलॉजिस्ट का होना अनिवार्य है लेकिन तमाम निजी पैथोलॉजी संचालक विभाग को गुमराह करने के लिए कलेक्शन सेंटर के नाम से पैथोलॉजी का संचालन कर रहे हैं। गलत जांच रिपोर्ट आने से मरीजों का सही इलाज नहीं हो पा रहा है।
तीन दिन के भीतर ही पूरे हो जाते हैं मानक
स्वास्थ्य अधिकारी बिना मानक और पंजीकरण पैथोलॉजियों की जांच तो करते हैं, इसके बाद नोटिस जारी कर तीन दिन में अभिलेख दिखाने का निर्देश देते हैं। इसके बाद पैथोलॉजी संचालक के तीन दिन में ही सभी मानक पूरे हो जाते हैं और दोबारा संचालन भी शुरू हो जाता है। वहीं जो सीएमओ कार्यालय में नहीं पहुंचते हैं, वह दूसरे नाम से पैथोलॉजी का संचालन शुरू कर देते हैं।
13 पैथोलॉजी और एक नर्सिंगहोम संचालक को दिया था नोटिस
27 जून को जिला उप क्षय रोग अधिकारी और मियागंज सीएचसी प्रभारी ने सफीपुर में नर्सिंगहोम व पैथोलॉजी कर 13 प्रतिष्ठानों के बाहर नोटिस चस्पा कराया था। इनमें से नौ प्रतिष्ठानों के संचालकों ने कागज नहीं प्रस्तुत किए। इसपर उन्हें नोटिस देकर तीन दिन में कागज दिखाने के निर्देश सीएमओ ने दिए थे। इसके बाद इन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
तीन सितंबर को एसीएमओ ने बंद कराई थी तीन पैथोलॉजी
तीन सितंबर को एसीएमओ नरेंद्र सिंह ने बांगरमऊ के हरदोई उन्नाव मार्ग स्थित लखनऊ पैथोलॉजी और मैक्स पैथोलॉजी और आरके पैथोलाॅजी का निरीक्षण किया था। यहां उन्होंने संचालक से पंजीकरण दिखाने को कहा। इसपर संचालक कोई भी पंजीकरण नहीं दिखा सके। इसपर एसीएमओ ने उन्हें बंद करा दिया गया। तीन बाद इन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
चल रहा कमीशन का खेल
जिला अस्पताल और सीएचसी में पेट से संबंधित मरीजों को चिकित्सक अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। यहां तैनात कुछ स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर निजी जांच केंद्रों से संपर्क बनाए हैं। मरीज जब जांच कराने केंद्र पर पहुंचता है तो उससे भेजने वाले का डॉक्टर का नाम पूछा जाता है। इसके बाद जांच का कुछ प्रतिशत कमीशन संबंधित भेजने वाले को भी दिया जाता है।
ये हैं पैथोलॉजी संचालन के मानक
– सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण
– पैथोलॉजिस्ट की तैनाती होनी चाहिए
– लैब टेक्नीशियन व माइक्रोबायोलॉजिस्ट की तैनाती होनी चाहिए
– स्वच्छता और वेंटिलेशन और पर्याप्त जगह होनी चाहिए
– परीक्षण के लिए उपकरण, सैंपल एरिया, फ्रीज आदि होना चाहिए
– मेडिकल अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था होनी चाहिए
– लैब के बाहर जांच की सूची और शुल्क की सूची लगी होनी चाहिए
– पंजीकरण की स्थिति और लाइसेंस आदि की जानकारी भी होनी चाहिए
– तैनात डॉक्टर, पैथोलॉजिस्ट आदि की सूचना चस्पा होनी चाहिए
– फायर सेफ्टी सिस्टम होना चाहिए
– अग्निशमन विभाग से जारी एनओसी होनी चाहिए
– आपातकालीन निकास द्वार होना चाहिए
वर्जन….
एक पैथोलॉजिस्ट के दस्तावेज पर दो लैब के संचालन के निर्देश हैं। जांच रिपोर्ट में पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर होना जरूरी है। मानकों की अनदेखी करने पर जांच के बाद कार्रवाई की जाती है। जांच कराई जाएगी, इसके बाद मानक और पंजीकरण न मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. नरेंद्र सिंह, नोडल अधिकारी व एसीएमओ।