Unnao News: उन्नाव हादसे के बाद जिला अस्पताल में स्कार्पियो चालक आशीष ने लड़खड़ाते शब्दों में बताया कि वह गाड़ी का चालक है, लेकिन अरविंद और उनके दोस्तों ने उन्हें गाड़ी चलाने नहीं दी। उसे गाड़ी में सबसे पीछे वाली सीट पर बैठा दिया था। बताया कि वह लोग बहुत तेज रफ्तार में गाड़ी चला रहे थे।
उन्नाव जिले में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही स्कॉर्पियो ट्रक में पीछे से घुस गई। हादसे में कार क परखच्चे उड़ गए और उसमें बैठे पांच दोस्तों की मौत हो गई। हादसे के वक्त चालक पीछे की सीट पर बैठा था, जो गंभीर रूप से घायल हुआ है। पुलिस ने परिजनों को सूचना दी है। अयोध्या जिले के थाना मयाबाजार के विलासपुर निवासी अरविंद सिंह (40) पुत्र भगवान सिंह प्राइवेट नौकरी करते हैं।उनका एक मकान दिल्ली में भी है। वहां परिवार के ही कुछ लोग रहते हैं। मंगलवार को वह पड़ोसी वैभव पांडेय (35), अनुज पांडेय (40), चचेरे भाई मनोज सिंह (45) पुत्र समरबहादुर, चालक आशीष कुमार (45) पुत्र मिठाईलाल और मनोज के साले बस्ती जिले के थाना परशुरामपुर के गांव रजवापुर निवासी महेंद्र (38) पुत्र राजकुमार सिंह के साथ स्कॉर्पियो से दिल्ली गए थे। गुरुवार शाम करीब 6:30 बजे एक्सप्रेसवे के रास्ते अयोध्या लौट रहे थे। हादसे के वक्त गाड़ी वैभव चला रहा था।
बांगरमऊ कोतवाली के फतेहपुर खालसा गांव के पास तेज रफ्तार स्कार्पियो आगे चल रहे ट्रक में पीछे से घुस गई। जिस समय हादसा हुआ बारिश भी हो रही थी। रफ्तार तेज होने से ब्रेक लगाने पर गाड़ी करीब पांच मीटर तक घिसटने के बाद ट्रक से भिड़ी। हादसे में स्कॉर्पियो के परखच्चे उड़ गए। यूपीडा की रेस्क्यू टीम ने सभी को एंबुलेंस से बांगरमऊ सीएचसी भेजा जहां, डॉक्टर ने वैभव, मनोज और अरविंद को मृत घोषित कर दिया।
राशन आदि की व्यवस्था करने गए थे अरविंद
महेंद्र, आशीष और अनुज को गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल पहुंचने पर महेंद्र और अनुज को भी मृत घोषित कर दिया गया, जबकि आशीष का इलाज चल रहा है। सीओ अरविंद सिंह, कोतवाल राजकुमार और एएसपी दक्षिणी प्रेमचंद्र घटनास्थल पर पहुंचे। गाड़ी में मिले मोबाइल से परिजनों को सूचना दी गई। मृतक अरविंद के माता-पिता भी दिल्ली में रहते हैं। अरविंद उन्हीं को राशन आदि की व्यवस्था करने गए थे।
हादसे के बाद चालक ट्रक लेकर भाग गया
अरविंद पहले दिल्ली में रहकर प्राइवेट नौकरी करते थे। इस समय वह अयोध्या में ही रह रहे हैं। सीओ अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि हादसे के समय मौजूद लोगों ने बताया कि स्कार्पियो की रफ्तार करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। रफ्तार तेज होने से स्कार्पियो क्षतिग्रस्त हुई और सभी लोग उसी में दब गए। हादसे के बाद चालक ट्रक लेकर भाग गया। टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से उसका पता लगाया जा रहा है।
लखनऊ के गिरजा सिंह के नाम पंजीकृत है स्कॉर्पियो
हादसे के बाद पुलिस ने गाड़ी की जांच की, तो वह लखनऊ के कानपुर रोड एलडीए कालोनी निवासी गिरजा सिंह पुत्र ओमप्रकाश के नाम दर्ज मिली है। वर्ष 2021 की गाड़ी थी।
हादसे में मनोज के चचेरे भाई और साले की भी मौत
एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे का शिकार हुए मनोज के साथ उनके चचेरे भाई अरविंद सिंह और साले महेंद्र भी थे। उनकी भी मौत हो गई। अरविंद खेती कर परिवार का पालन पोषण करते थे। पिता भगवानदीन भी खेती करते हैं।
वैभव और अमित स्नातक के छात्र थे
हादसे का शिकार हुआ वैभव पांडे स्नातक का छात्र था। वह दो भाइयों में बड़ा था। पिता लक्ष्मी नारायण पांडे खेती करते हैं। बेटी की मौत से पिता और मां बेहाल हैं। अमित भी स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। उसकी अभी शादी नहीं हुई थी। वह दो भाइयों में बड़ा था। पिता दिलीप तिवारी डाकघर में कर्मचारी हैं। बेटे की मौत से पिता और मां और अन्य परिजन बेहाल हैं।
हादसे के बाद गायब हैं मृतकों की चेन और अंगूठियां
हादसे का शिकार हुए मनोज और उनके साथियों की सोने की चेन और अंगूठियां मौके पर नहीं मिली हैं। परिजनों का आरोप है कि मनोज दो तोला की चेन, तीन अंगूठी पहने था। बाकी लोग भी अंगूठी और चेन पहने थे, जो गायब हैं। सीओ अरविंद चौरसिया ने बताया कि जेवर गायब होने की बात पता चली है। चौकी इंचार्ज और कोतवाल से इसकी जानकारी ली जा रही है।
चालक बोला- मुझे सबसे पीछे की सीट में बैठा दिया था
जिला अस्पताल में स्कार्पियो चालक आशीष ने लड़खड़ाते शब्दों में बताया कि वह गाड़ी का चालक है लेकिन अरविंद और उनके दोस्तों ने उन्हें गाड़ी चलाने नहीं दी। बताया कि वह पांच दोस्त आपस में खाते, पीते, नाश्ता करते हुए चल रहे थे और बारी-बारी से गाड़ी चला रहे थे
कई बार टोका भी, लेकिन डांट कर चुप करा देते थे
वह एससी है इसलिए उसे गाड़ी में सबसे पीछे वाली सीट पर बैठा दिया था। बताया कि वह लोग बहुत तेज रफ्तार में गाड़ी चला रहे थे। कई बार टोका भी लेकिन डांट कर चुप करा देते थे। हालत गंभीर होने से वह ज्यादा नहीं बोल पाया। सिटी मजिस्ट्रेट राजीव राज जिला अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों से आशीष के स्वास्थ्य की जानकारी ली। हालत गंभीर होने से उसे एंबुलेंस से कानपुर हैलट रेफर किया गया।