उन्नाव। क्रिटिकल केयर ब्लॉक (सीसीबी) बनने का रास्ता साफ हो गया है। उपमुख्यमंत्री ने दिसंबर-2023 में इसे स्वीकृति दी थी। शासन ने अब ढाई करोड़ रुपये की पहली किस्त स्वीकृत की है। इसका निर्माण पुराने अस्पताल की बिल्डिंग तोड़कर किया जाएगा।
उन्नाव दुर्घटना बाहुल्य जिलों में शामिल है, लेकिन यहां घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसी वजह से घायलों को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ या कानपुर रेफर करने की मजबूरी रहती है। साथ ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी बेहतर इलाज के लिए कानपुर हैलट रेफर किया जाता है। तमाम घायल और बीमारियों से ग्रसित मरीज समय पर इलाज न मिलने से रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
समस्या के निस्तारण के लिए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दिसंबर-2023 में जिला मुख्यालय पर एक क्रिटिकल केयर ब्लॉक बनाने के लिए मंजूरी दी थी। इसके लिए जिला अस्पताल परिसर में 3000 वर्ग मीटर जमीन न होने से इसे बड़ा चौराहा के पास स्थित पुराने अस्पताल के परिसर में बनाने की योजना है। इस पुराने अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग को तोड़ने की अनुमति के लिए सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश ने शासन को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि इसकी अनुमति मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।
पहले 43 किलोमीटर दूर मौरावां में बनाने का भेजा था प्रस्ताव
उपमुख्यमंत्री ने उन्नाव के लिए सीसीबी को मंजूरी दिलाई, लेकिन जिले के अधिकारियों ने इसके महत्व को नजर अंदाज करके पहले जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर मौरावां के सौ शैया अस्पताल परिसर में बनाने का प्रस्ताव स्वास्थ्य निदेशालय को भेज दिया था। हालांकि मामला संज्ञान में आने पर तत्कालीन डीएम अपूर्वा दुबे ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए मौरावां में निर्माण पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पुराना अस्पताल परिसर में बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा था।
मौरावां में होता निर्माण तो ये होती समस्या
मौरावां स्थित सौ शैया अस्पताल की जिला मुख्यालय से दूरी 43 किलोमीटर है। जबकि उन्नाव शहर से हैलट अस्पताल की दूरी महज 25 किलोमीटर है। वहीं, लखनऊ ट्रामा सेंटर या एसजीपीजीआई की जिला अस्पताल से दूरी करीब 65 किलोमीटर है। यह भी ध्यान नहीं रखा गया था कि मरीज को मौरावां से कानपुर हैलट रेफर करने पर 65 किमी और लखनऊ ट्रामा सेंटर भेजने पर 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी।
बोले जिम्मेदार————-
उन्नाव में सड़क हादसे अधिक होने के कारण बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए सीसीबी निर्माण की स्वीकृति दी थी। अधिकारियों की सुस्ती से छह महीने से काम शुरू नहीं हो सका है। वह अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट लेंगे और जो भी समस्या आ रही होगी, उसे दूर कराएंगे।
– ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर ज्यादातर बड़े हादसे होते हैं। यहां सीसीबी बनाने की काफी ज्यादा जरूरत है। साथ ही सफीपुर और बांगरमऊ में एक्सप्रेसवे के नजदीक एक उच्चीकृत अस्पताल बनाने के लिए शासन को पत्र भेजा है। उम्मीद है जल्द ही इसकी भी अनुमति मिल जाएगी।
– गौरांग राठी, डीएम, उन्नाव