उन्नाव। दूध और उससे बनी खाद्य वस्तुओं में दुकानदार मानकों का पालन नहीं कर रहे। ऐसे ही 16 मामलों में एडीएम वित्त राजस्व की कोर्ट ने मिलावट करने वालों पर 3.60 लाख का जुर्माना लगाया है। दुकानदारों को 30 दिन में जुर्माना जमा करने के आदेश दिए गए हैं।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में विशेष चेकिंग अभियान चलाया था। इस दौरान दूध, दही, छेना, खोया, पनीर व कुकीज खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था। जांच के बाद प्रयोगशाला द्वारा जो रिपोर्ट भेजी गई उसमें सभी नमूने विभाग की गाइडलाइन पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के आधार पर यह मामले एडीएम वित्त राजस्व कोर्ट में दाखिल किए गए।
इन वादों की सुनवाई करते हुए एडीएम वित्त राजस्व नरेंद्र सिंह ने 16 मामलों में दुकानदारों पर 3.60 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका। इसमें सबसे ज्यादा मिश्रित दूध (गाय, भैंस) में पानी की ज्यादा मिलावट पाए जाने पर बिक्री करने वाले अनूप यादव निवासी मोहम्मदपुर चकसुनौरा औरास पर 70 हजार और कृष्णानगर के कार्तिकेय पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, रामपुर गढ़ौवा के रामविलास और फतेहपुर चौरासी के चंद्रप्रकाश व सहजराम पर मानक विहीन खोया व पनीर बेचने पर 30-30 हजार का अर्थदंड लगाया गया।
इसके अलावा पांच दुकानदारों पर भैंस के दूध, पनीर, बिस्किट आदि में मानकों का पालन न करने पर 25-25 हजार और तीन पर गाय के दूध, दही में पानी की मिलावट करने पर 20-20 हजार का जुर्माना लगाया गया। छेना, खोया में मानक से ज्यादा फैट मिलने पर एक पर 10 हजार व तीन पर पांच-पांच हजार का अर्थदंड लगाया गया।
मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है खाद्य वस्तुओं में मिली मिलावट
जिन सैंपलों की रिपोर्ट प्रयोगशाला से आई है, वह सभी अधोमानक बताए गए हैं। इसमें दूध में पानी व खोया-पनीर में फैट की अधिकता मिली है। हालांकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। इसी कारण सभी मामलों में संबंधित दुकानदारों के खिलाफ एडीएम कोर्ट में वाद दायर किया गया। इसमें एडीएम ने जुर्माना लगाकर दंडित किया। मुख्य खाद्य निरीक्षक शैलेश दीक्षित ने बताया कि सभी सैंपल खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तय किए गए मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। सभी में सामान्य पानी आदि की ही मिलावट मिली है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
चेकिंग और जुर्माने की यह है प्रक्रिया
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग बाजार में बिकने वाली खानपान की वस्तुओं पर निगरानी रखता है। चेकिंग के दौरान जो सैंपल लिए जाते हैं उन्हें प्रयोगशाला भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने पर यदि साधारण मिलावट (स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं) की पुष्टि होती है तो एडीएम कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। एडीएम मामले की सुनवाई करते हैं और मिलावट की गंभीरता पर आर्थिक जुर्माना लगाते हैं। वहीं जिन मामलों में ऐसी मिलावट पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं तो उन मामलों को सिविल कोर्ट में दायर किया जाता है। इन मामलों में मिलावट करने वाले को सजा और जुर्माना दोनों सुनाया जाता है।