महाराष्ट्र के जलगांव में हुए रेल हादसे में मृतकों की पहचान हो गए गई है। जानकारी के मुताबिक, इसमें कुल चार नेपाली नागरिक थे, जिनकी इन हादसे में मौत हो गई है। वहीं इन मृतकों के परिजनों ने पूरे हादसे का भयावह मंजर भी बताया है।

जलगांव रेल हादसे में मारे गए 13 लोगों में से चार लोग नेपाल के रहने वाले थे। वहीं एक नेपाली व्यक्ति को क्षत-विक्षत शरीर के अंगों से अपने परिवार के लोगों की पहचान भी करनी पड़ रही है, जिससे वे सदमे में हैं। बता दें कि, लच्छीराम खतरू पासी नेपाल के रहने वाले चार लोगों में से एक थे, जिनकी मौत 13 अन्य लोगों के साथ उस समय हुई, जब मुंबई जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस के कुछ यात्री, जो चेन-पुलिंग की घटना के बाद ट्रेन से उतर गए थे और शाम को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बगल की पटरियों पर कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।
13 लोगों में चार लोग नेपाल के रहने वाले
इस त्रासदी में जिंदा बचे लच्छीराम खतरू पासी के साथियों ने भी बताया कि कैसे वे खुद को बचाने के लिए दो ट्रेनों के बीच में जैसे-तैसे सिमटे रहे। इस मामले में अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि बुधवार को जलगांव रेल दुर्घटना में मारे गए 13 लोगों में से कम से कम चार की पहचान नेपाल के निवासी के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि चार नेपाली पीड़ितों में एक नाबालिग लड़का और दो महिलाएं शामिल हैं।
मृत नेपाली नागरिकों की हुई पहचान
अधिकारियों की तरफ उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार, चार नेपाली पीड़ितों की पहचान कमला नवीन भंडारी (जो मुंबई के कोलाबा में रहती थीं), जवाकला भाटे (जो ठाणे के भिवंडी में रहती थीं), लच्छीराम खतरू पासी और इम्तियाज अली के रूप में हुई है। जलगांव में रहने वाले लच्छीराम पासी के भतीजे रामरंग पासी ने कहा कि उनके चाचा नेपाल के बांके जिले के नारायणपुर के रहने वाले थे और उनकी उम्र 50 वर्ष के आसपास थी। उनके हाथ और पैर के कुछ हिस्से गायब हैं।
चेहरे और कपड़ों से की जा रही है परिजनों की पहचान
रामरंग पासी ने कहा कि उनके चाचा नेपाल से लखनऊ होते हुए ठाणे जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में पांच अन्य लोगों के साथ यात्रा कर रहे थे, जो सभी दिहाड़ी मजदूर हैं और इस त्रासदी में बच गए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने चाचा को उनके चेहरे और कपड़ों से पहचाना, लेकिन (क्षत-विक्षत अवशेषों का) दृश्य इतना डरावना था कि एक पल के लिए उनका दिमाग सुन्न हो गया। रामरंग ने बताया कि शव अभी तक उन्हें नहीं सौंपा गया है, उन्होंने कहा कि वे अपने चाचा के शव को नेपाल में उनके पैतृक स्थान पर ले जाना चाहते हैं।
ट्रेन में आग लगने की अफवाह फैली थी- यात्री
वहीं लच्छीराम के साथ यात्रा कर रहे नेपाल के एक श्रमिक शौकत अली ने भयावह घटना को याद करते हुए कहा, ‘ट्रेन में आग लगने की अफवाह फैली थी। हमने बोगी के अंदर धुआं देखा। जब ट्रेन धीमी हुई, तो हम जल्दी से नीचे उतर गए और ट्रेन खाली हो गई।’ जैसे ही वे नीचे उतरे, विपरीत दिशा में चल रही दूसरी ट्रेन कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच गई। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि वे स्थिति को समझ पाते, सभी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, जबकि भागने के लिए भी कोई जगह नहीं थी।
मध्य रेलवे के अधिकारियों ने पहले बताया कि यह दुर्घटना उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पचोरा शहर के पास माहेजी और परधाडे स्टेशनों के बीच हुई, जब बुधवार शाम करीब 4.45 बजे किसी ने चेन खींच दी, जिसके बाद लखनऊ-मुंबई पुष्पक एक्सप्रेस रुक गई। अधिकारियों के अनुसार, पुष्पक एक्सप्रेस में सवार कुछ यात्री आग लगने के डर से जल्दबाजी में बगल की पटरियों पर कूद गए और बंगलूरू से दिल्ली जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।