उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि कानूनों को और मजबूत कैसे किया जा सकता है। मामला गंभीर है, लेकिन पुणे पुलिस को बदनाम करने की कोई जरूरत नहीं है।
पुणे पोर्श कांड अभी भी सुर्खियों में बना हुआ है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को विधानसभा को बताया कि पोर्श हादसे की जांच में पुणे पुलिस प्रमुख अमितेश कुमार की सक्रिय भूमिका थी। ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।फडणवीस ने अटेंशन प्रस्ताव के जरिए उठाए गए इस हाई प्रोफाइल मामले पर चर्चा के दौरान यह बात कही। बहस के दौरान विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने पुणे पुलिस आयुक्त के इस्तीफे की मांग की।
मामले को दबाने की कोशिश
वहीं, रुपये देकर मामले को दबाने की कोशिश करने की बात को स्वीकार करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हमें यह देखना होगा कि कानूनों को और मजबूत कैसे किया जा सकता है। मामला गंभीर है, लेकिन पुणे पुलिस को बदनाम करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने मामले में कार्रवाई की है। दोषी पुलिस अधिकारियों को दंडित किया गया है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने हादसे की जांच में सक्रिय भुमिका निभाई है। ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाए।
क्या है मामला?
दुर्घटना 19 मई को सुबह करीब 2.15 बजे हुई थी। 17 वर्षीय किशोर अपने दोस्तों के साथ पुणे के दो पब में 12वीं कक्षा के परिणाम का जश्न मनाने बाद वापस लौट रहा था। तभी उसने कल्याणी नगर इलाके में दो 24 वर्षीय आईटी पेशेवरों को टक्कर मार दी। वह 150 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से 2.5 करोड़ रुपये की पोर्श चला रहा था। बाइक चला रहे अनीश अवधिया और पीछे बैठे अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई थी।
यरवदा पुलिस स्टेशन से जुड़े दो पुलिसकर्मियों को मामले के संबंध में कर्तव्य की कथित लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि किशोर के रक्त के नमूनों को उसकी मां के साथ बदल दिया गया था। नाबालिग के माता-पिता और सरकारी ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों को नमूने बदलने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
फडणवीस ने कहा कि ससून के चिकित्सकों ने तीन लाख रुपये की रिश्वत के लिए रक्त के नमूने बदले थे। हम हर मामले में खामियों से सीखते हैं। नए आपराधिक कानून जो एक जुलाई से लागू होंगे, कानूनी, फोरेंसिक और तकनीकी साक्ष्य को अधिक महत्व देते हैं।’