RTI (शिक्षा का अधिकार) के आवेदन सत्यापन में शास्त्री नगर खंड कार्यालय में तैनात कनिष्ठ लिपिक आदित्य पांडेय ने खेल कर दिया। पहले चरण के आवेदन के सत्यापन में लिपिक ने फार्म निरस्त कर दिए और उसमें हवाला दिया कि अभिलेख स्पष्ट न होने के कारण इन्हें निरस्त किया जा रहा है, जबकि जांच में ऐसा नहीं पाया गया।
अभिभावकों ने की शिकायत
शिक्षा का अधिकार यानी आरटीई में पहले चरण के आवेदनों के सत्यापन में गलत रिपोर्ट लगाना लिपिक को भारी पड़ गया। अभिभावकों ने बीएसए और स्कूल शिक्षा महानिदेशक से इसकी शिकायत की। इसके बाद बीएसए ने इस मामले में जांच बैठा दी। कमेटी ने जांच की जिसमें शास्त्री नगर खंड कार्यालय में तैनात कनिष्ठ लिपिक आदित्य पांडेय दोषी पाए गए। इस पर आदित्य को आरटीई के पटल से हटा दिया और खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुशवाहा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
अखिल भारतीय अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने आरोप लगाया कि बीईओ मुख्यालय सुनील द्विवेदी की रिपोर्ट के बाद भी बीएसए ने आदित्य का निलंबन न करे कार्रवाही के नाम पर खाना पूर्ति की गयी है। इसे कर्मचारियों के हौसले और बुलंद होंगे। सत्यापन में पारदर्शिता नहीं होगी तो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने की चाह पूरी नहीं कर पाएंगे।
वहीं, बीएसए सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि कनिष्ठ लिपिक आदित्य पांडेय जांच में दोषी पाए गए है, इसलिए उन्हे आरटीई के पटल से हटा दिया गया है।
2273 आवेदन कर दिए थे निरस्त
शैक्षणिक सत्र 2024-25 में आरटीई के पहले चरण में 1578 निजी स्कूलों में आरक्षित 9,985 रिक्त सीटों के लिए निजी स्कूलों में प्री प्राइमरी और पहली कक्षा में आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों के लिए 11,839 आवेदन आए थे। इसमें से 7437 आवेदन ही सत्यापित हुए और ऑनलाइन लाटरी के माध्यम से 5164 बच्चों को विद्यालय आवंटित किए गए, जबकि 2273 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था।